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अथ आल्हखण्ड।
चन्दन बगिया का युद्धवर्णन॥
सवैया॥
ता पद पङ्कज प्रेम नितै सो इतै हम चाहत शारदरानी ।
ध्यावत तोहिं मनावत गावत पावत मोद महेश भवानी ।।
हे सुखदे बसुदे यशुदे तब भाग कहौ तौ कहॉलों बखानी ।
गावत गीत यही ललिते फलिते पदपङ्कज जे रतिमानी १
सुमिरन ॥
मैं पद बन्दों जगदम्बा के अम्बाचरण कमल धरि माथ ।।
करि अवलम्बा श्रीदुर्गा का गावा चहौं यहाँ कछ गाथ १
मोहिं भरोसा महरानी का दानी तीनि लोक की माय ।।
सब सुखखानी दुर्गा रानी पूरण कृपा करो अब आय २
जनक नन्दिनी के पद बन्दों जिन बल चला जाउँ भव पार ।।
नैया डगमग डगमग हौवै बूड़न चहै सदा मँझधार ३
नहीं खेवैया कोउ नैया को मैया तुहीं लगावै पार ।।