पारस पत्थरहै मोहबे मा लोहा छुवत सोन ह्वैजाय ।।
राजपाट लै सब मोहबे कै तुम सुख भोग करो अधिकाय ११
इतना सुनिकै बेला बोली मानो साँच बनाफरराय ।।
जल्दी जावो तुम दिल्लीको चन्दनबाग कटावो जाय १२
बिना पियारे इक प्रीतम के सब मुख नर कसरिस दिखराय ।।
नाश करनलको हम उपजीथीं दूनों बंश डरे मरवाय १३
अब सुखसोवैं कस मोहबे मा दिल्ली जाउ बनाफरराय ॥
इतना सुनिकै ऊदन बोले बेला साँच देयँ बतलाय १४
अब नहिं जावैं हम दिल्लीको कीन्हे कोप पिथोराराय ।।
जान आपनो सबको प्यारो जलथल जीव जन्तु जेमाय १५
पगिया अरझी नहिं बगिया में सोई चन्दनदेयँ मँगाय ॥
औरो चन्दन बहु दुनिया में सो कहुछ करन लवों लदाय १६
पै अब दिल्ली को जैहौं ना बेला साँच देउँ बतलाय ।।
इतना सुनिकै बेला बोली मानो कही बनाफरराय १७
शाप तडाका अब मैं देहौं ऊदन तुरत भस्म ह्वैजाय ।।
बातैं सुनिकै ये बेला की कम्पितभयो लहुरवाभाय १८
लाखनि बोले तब ऊदन ते चंदन चलो देयँ कटवाय ।।
आखिर देही यह रहिहै ना अब यश लेउ बनाफरराय १९
इतना सुनिकै ऊदन बोले साँची कहौ कनौजीराय ॥
जल्दी चलिये अब दिल्लीको चन्दनबाग लेयँ कटवाय २०
सम्मत करिकै ऊदन लाखनि डंका तुरत दीन बजवाय ।।
बाजे डंका अहतंका के हाहाकार शब्दगा छाय २१
भूरी सजिकै लखराना की तुरतै गई तड़ाका आय ।।
फूलमती पद वन्दन करिकै त्यहिपर बैठ कनौजीराय २२
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चन्दन बाग केर मैदान । ५८७
