पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५९०

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चन्दनबागकेरमैदान । ५८६ , दुनिया जानति है ऊदन को जिनके लड़न क्यार बयपार ।। दूसर धंधा कछु कीन्हे ना चौड़ा मानु कही यहि बार ३५ भटक पारलों झंडा गड़िगा बाजी सेतबन्धलों- टाप ।। दतिया बूंदी जालंधर औ हमरी गई कमायूँ थार ३६ चन्दन जैहै सब मोहवे को चाहै फौज देउ कटवाय ।। रुकिहै चन्दन अब चौड़ाना तुमते साँच दीन बतलाय ३७ इतना सुनिक जरा चौंड़िया तुरते लीन्यो गुण उठाय॥ ऐंचि के मारा सो उदन के लैगा दुल वार बचाय ३८ बचा दुलस्वा द्यावलिवाला हौदा उपर पहूँ वाजाय ॥ कलश सूबरण हौदावाले सो धरती मा दीन गिराय ३६ झुके सिपाही दुहुँतरफा के लागी चलन तहाँ तलवार ।। पैग पैग पै पैदल गिरिगे दुइ दुइ पैग गिरे असवार ४० मारे मारे तलवारिन के नदिया बही रक्तकी धार । मुण्डन केरे मुड़चौरा मे औ रुण्डन के लगे पहार ४१ विजयसिंह है बिकानेर को विरसिंह गाँजर को सरदार॥ दोऊ मार दोउ ललकारें दोऊ समरधनी तलवार ४२ कोऊ हारें नहिं काहू सों दोउ रण परा बरोबरि आय ॥ दोऊ ठाकुर हैं हाथी पर दोऊ देय सेलके घाय ४३ वार चूकिगे विरसिंह ठाकुर मारा विजयसिंह सरदार ॥ जूझिगे विरसिंह समरभूमि में हिरसिंहआयगयोत्यहिबार ४४. सँभरो ठाकुर अब होदापर कीन्ह्यो विजयसिंह ललकार।। सुनिकै बातें विजयसिंह की हिरसिंह चिलीनितलवार ४५ ऐंचिकै मारा विजयसिंह को सो तिन लीन ढालपर वार ।। रिसहा ठाकुर विकानेर को सोत्यहि मारा फेरि कटार ४६.