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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५९०

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चन्दन बाग केर मैदान । ५८९

दुनिया जानति है ऊदन को जिनके लड़न क्यार बयपार ।।
दूसर धंधा कछु कीन्हे ना चौंड़ा मानु कही यहि बार ३५
अटक पारलों झंडा गड़िगा बाजी सेतबन्धलों टाप ।।
दतिया बूंदी जालंधर औ हमरी गई कमायूँ थाप ३६
चन्दन जैहै सब मोहबे को चाहै फौज देउ कटवाय ।।
रुकिहै चन्दन अब चौंड़ा ना तुमते साँच दीन बतलाय ३७
इतना सुनिकै जरा चौंड़िया तुरते लीन्ह्यो गुर्ज उठाय ॥
ऐंचि के मारा सो ऊदन के लैगा बेंदुल वार बचाय ३८
बचा दुलरवा द्यावलिवाला हौदा उपर पहूँचा जाय ॥
कलश सूबरण हौदा वाले सो धरती मा दीन गिराय ३९
झुके सिपाही दुहुँ तरफा के लागी चलन तहाँ तलवार ।।
पैग पैग पै पैदल गिरिगे दुइ दुइ पैग गिरे असवार ४०
मारे मारे तलवारिन के नदिया बही रक्तकी धार ।।
मुण्डन केरे मुड़चौरा भे औ रुण्डन के लगे पहार ४१
बिजयसिंह है बिकानेर को बिरसिंह गाँजर को सरदार ॥
दोऊ मारै दोउ ललकारैं दोऊ समरधनी तलवार ४२
कोऊ हारैं नहिं काहू सों दोउ रण परा बरोबरि आय ॥
दोऊ ठाकुर हैं हाथी पर दोऊ देयँ सेलके घाय ४३
वार चूकिगे बिरसिंह ठाकुर मारा बिजयसिंह सरदार ॥
जूझिगे बिरसिंह समरभूमि में हिरसिंह आय गयो त्यहिबार ४४
सँभरो ठाकुर अब हौदापर कीन्ह्यो बिजयसिंह ललकार ।।
सुनिकै बातैं बिजयसिंह की हिरसिंह खैंचि लीनि तलवार ४५
ऐंचिकै मारा बिजयसिंह को सो तिन लीन ढालपर वार ।।
रिसहा ठाकुर बिकानेर को सोत्यहि मारा फेरि कटार ४६