लागि कटारी गै हिरसिंह के सोऊ जूझिगयो त्यहिबार ।।
हिरसिंह बिरसिंह गाँजरवाले दोऊ जूझिगये सरदार ४७
तब महराजा कानउज वाला लाखनिराना कहा पुकार ।।
गंगा मामा कुड़हरिवाले मारो बिजयसिंह यहिबार ४८
इतना सुनिकै गंगाठाकुर अपनो हाथी दीन बढ़ाय ॥
बिजयसिंह को फिरि ललकारा ठाकुर कूच जाउ करवाय ४९
नहीं तो बचिहौ ना हौदापर जो बिधि आपु बचावै आय ॥
इतना सुनिकै बिजयसिंह ने अपनो हाथी दीन बढ़ाय ५०
बिजयसिंह औ फिरि गंगा का परिगा समर बरोबरि आय ॥
सेल चलाई बिजयसिंह ने गंगा लैगे वार बचाय ५१
ऐंचिकै भाला गंगा मारा त्यहिके गई प्राणपर आय ॥
जूझिग राजा विकानेर का गंगा बढ़ा तड़ाका धाय ५२
हीरामणि चरखारी वाला सोऊ गयो तहॉपर आय ।।
त्यहि ललकारा फिरि गंगा को ठाकुर खबरदार ह्वैजाय ५३
वार हमारी ते बचिहै ना जो विधि आपु बचावै आय ।।
त्यहिते तुमका समुझाइत है ठाकुर कूच जाउ करवाय ५४
इतना कहिकै हीरामणि ने मारी खैंचि तुरत तलवार ।।
बचिगा ठाकुर कुड़हरि वाला लीन्हे सिआड़ि ढाल पर वार ५५
बोला ठाकुर चरखारी का ठाकुर धन्य तोर अवतार ।।
मैं हनि मारा दुहूँ हाथ ते पै तुम लीन ढाल पर वार ५६
सुनिकै बातैं हीरामणि की गंगा लीन तुरत तलवार ।।
ऐंचिकै मारा हीरामणि के सो पै जूझि गयो त्यहिबार ५७
स्यावसि स्यावसि गंगा मामा लाखनि कहा वचन ललकार ।।
तुम्हरी समता का क्षत्री ना अब कोउ देखिपरै यहिबार ५८
पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५९१
दिखावट
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
६
आल्हखण्ड । ५६०
