पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५९१

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आल्दखण्ड । ५६० लागि कटारी में हिरसिंह के सोऊ जूझिगयो त्यहिबार ।। हिरसिंह विरसिंह गाँजरवाले दोऊ जूझिगये सरदार ४७ तव महराजा कानउज वाला लाखनिराना कहा पुकार ।। गंगा मामा कुड़हरिवाले मारो विजयसिंह यहिवार ४८ इतना सुनिकै गंगाठाकुर अपनो हाथी दीन बढ़ाय ॥ विजयसिंह को फिरिललकारा ठाकुर कूच जाउ करवाय ४६ नहीं तो वचिही ना हौदापर जो विधि आपु वचावै आय॥ इतना सुनिक विजयसिंह ने अपनो हाथी दीन बढ़ाय ५० विजयसिंह औ फिरि गंगाका परिगा समर वरोवरि आय ॥ सेल चलाई विजयसिंह ने गंगा लैगे वार बचाय ५१ ऐचिकै भाला गंगा मारा त्यहिके गई प्राणपर आय ॥ जूझिग राजा विकानेर का गंगा बढ़ा तड़ाका धाय ५२ हीरामणि चरखारी वाला सोऊ गयो तहॉपर आय ।। स्यहि ललकारा फिरि गंगाको ठाकुर खवरदार लैजाय ५३ बार हमारी ते बचिहै ना जो विधि आपु बचावै आय।। त्यहिते तुमका समुझाइत है ठाकुर कूच जाउ करवाय ५४ इतना कहिके हीरामणि ने मारी बैंचि तुरत तलवार ।। वचिगा ठाकुर कुड़हरि वाला लीन्हेसिआडि ढालपरवार ५५ वोला ठाकुर चरखारी का ठाकुर धन्य तोर अवतार ।। मैं हनि मारा दुहूँ हाथ ते पै तुम लीन ढालपर वार ५६ सुनिक बातें हीरामणि की गंगा लीन तुस्त तलवार ।। ऐचिकै मारा हीरामणि के सो पै जूझिगयोत्यहिबार ५७ स्यावसि स्यावसि गंगा मामा लाखनि कहा वचन ललकार ।। तुम्हरी समता का क्षत्री ना भव कोउ देखिपरै यहिवार ५८