पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५९४

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तेहा राखो रजपूती का चन्दनवागकेरमैदान । ५६३ इतना सुनिके बेला बोली मानो साँच कनौजीराय । पाणपियारे जो तुम्हरे हैं तो तुम कूचदेउ करवाय ८३ चन्दनखम्म देउ मँगवाय ॥ नहीं जनाना पनि मोहवे, ते जावो लौटि कनौजीराय ८४ शाप में देहौं अब ऊदन का तुमते साँच देय बतलाय ॥ मोहवा दिल्ली दउ शहरनमें परि हैं राँड़ राँड़ दिखलाय ८५ इतना सुनिकै लाखनि बोले बेला साँच देय बतलाय ।। बहुत झमेला ते मतलब ना चन्दन देव वही मँगवाय ८६ तौ तौ लड़िका रतीभान का नहिं ई मुच्छ डरो मुड़वाय ॥ सुनि के बातें लखराना की बेला बड़ी खुशी लैजाय ८७ तबै बनाफर उदयसिंहजी तहते कूच दीन करवाय ॥ फिरि यह बोले लखराना ते मानो कही कोजीराय पर मृत्यु रूप यह बेला रानी दीन्ह्यसि वेलि दऊकुलभाय ।। नाश करनके हित यह बेला चन्दनखम्भ रही मँगवाय 8 नहीं तो मतलब का खम्भाते जब हम और देय मँगवाय ।। अपन डापा ते. चाहति है सब संसार राँड़ लैजाय ६० भाष आपने हम मल्हना को दीन्हे व्याह नेगमें भाय ।। सो अब विरिया चलिआई है बेला मृत्यु बहाना आय ६१ पहु समुझाये ते समुझे ना वेला विषति बेलि हरियाय ।। की हम खम्भलेय उखराय ६२ दुखित पिथौरा अव दुनियामा मरिगे सात पूत रणाय ।। पुत्र न एको अब पृथ्वी के जो अबलम्बपरे दिखलाय ६३ पिना पुत्रके गति नहि होवे वेद औ शास्त्र रहे बतलाय ।। अगमा मल्हनादउ रानिनकी वेला नाशिदीन करवाय ६४ . जियत पिथौरा के हैहै ना