भा खलभल्ला भी हल्ला तर लोगन दीन्ह्यो लागलगाय ॥
मुर्चाबन्दी दुहुँ तरफा ते दूनों तरफ बीर समुहाय ११
मारन लागे तलवारी सों दूनों तरफ बरो बरि आय ।।
अपने अपने सब मुर्चनमा ज्वानन दीन्हे ज्वान गिराय १२
औ ललकारैं फिरि फिरि मारैं अद्भुत समर कहा ना जाय ।।
लिहे जँजीरैं हाथी मारैं घोड़ा मारैं टाप चलाय १३
दाँतन काटैं फिरि फिरि डाटैं चाटें रक्त भूत बैताल ॥
मारि लहाशन के भुइँ पाटैं ल्वाटैं समरशूर त्यहिकाल १४
हाटैं लागी तहँ श्वानन की ज्वानन खूब कीन तलवार ।।
मारे मारे तलवारिन के नदिया बही रक्तकी धार १५
मुण्डन केरे मुड़चौरा भे औं रुण्डन के लगे पहार ।।
खट खट खट खट तेगा बोलै ऊना चलै बिलाइति क्यार १६
भाला बरछी तीर तमंचा कहुँ कहुँ कड़ा बीन की मार ॥
छुरी कटारी क्वउ क्वउ मारैं क्वउ क्वउ बीर रहे ललकार १७
क्वउ मुख फारैं नखन बिदारै डारैं चीरि फारि मैदान ॥
कोऊ हारैं नहिं काहू सों ज्वानन कीन घोर घमसान १८
परशूठाकुर लाखनि दिशि को अंगद नृपति ग्वालियर क्यार ।।
मुर्चाबन्दी भै दूनन कै दूनों लड़न लागि सरदार १९
अंगद मारै तलवारी सों परशू लेय ढालपर वार ॥
परशू मारै तलवारी सों अंगद रोंकि लेय त्यहिबार २०
बड़ी लड़ाई भै दूननमा दूनन खूब कीन तलवार ।।
वार चूकिगे अंगद राजा परशू मारि दीन त्यहिबार २१
गिरिगा राजा ग्वालीयर का आयो वीर भुगन्ता ज्वान ॥
बीर भुगन्ता के मुर्चा मा परशू खूब कीन मैदान २२
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चन्दन खम्भा का मैदान । ५९७
