पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/५९८

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भूत बैताल ॥ चन्दनखम्भाकामदान । ५९७ मा खलमल्ला भी हल्ला तर लोगन दीन्यो लागलगाय ॥ मुर्चाबन्दी दुहुँ तरफा ते दूनों तरफ बीर समुहाय ११ मारन लागे तलवारी सों दूनों तरफ बरोबरि आय ।। अपने अपने सब मुर्चनमा ज्वाननदीन्हे ज्यान गिराय १२ औ ललकारें फिरि फिरि मारें अद्भुत समर कहा ना जाय ।। लिहे जंजीरें हाथी मारें घोड़ा मारें टाप चलाय १३ दाँतन काटें फिरि फिरि डा चाटें रक्त मारि लहाशन के भुइँ पार्ने वा समरशूर त्यहिकाल १४ हा लागी तहँ श्वानन की ज्यानन खूब कीन तलवार । मारे मारे तलवारिन के नदिया वही रक्तकी धार १५ मुण्डन केरे मुड़चौरा भे औं रुण्डन के लगे पहार ।। खट खट खट खट तेगा बोले- ऊना चले विलाइतिक्यार १६ भाला बरछी तीर तमंचा कहुँ कहुँ कड़ाबीनकी मार ॥ छुरी कटारी - कउ क्कर मारें कर कउ बीर रहे ललकार १७ कउ मुखफार नखन विदाएँ डारें चीरि फारि मैदान ॥ कोऊ हारें नहिं काहू सों ज्वाननकीन घोर घमसान १८ परशूगकुर लाखनि दिशि को भंगद नृपतिग्वालियरक्यार ।। मुर्चाबन्दी में दूनन के दूनों लड़न लागि सरदार १६ अंगद मारे तलवारी सों परशू लेय ढालपर वार ॥ परशू मारै तलवारी सों अंगद रोकि लेय त्यहिवार २० बड़ी लड़ाई में दूननमा दूनन खूब कीन तलवार ।। चार चूकिगे अंगद राजा परशू मारिदीन त्यहि वार २१ गिरिगा राजा खालीयर का आयो वीर भगन्ता ज्वान ॥ और भुगन्ता के मुर्चा मा परशू खन कीन मैदान २२