तुम्हरे लाखनि के मुर्चामा कटिहैं पायँ आपने भाय ।।
होय लड़ाई घर अपने मा दुशमन शेर होय अधिकाय ३५
हुकुम जो पावैं लखराना का महलन जाय तड़ाकाधाय ।।
डोला लावैं हम अगमा का राखैं टेक कनौजीराय ३६
सुनिकै बातैं बघऊदन की लाखनि हुकुम दीन फरमाय ।।
चला बनाफर तब जल्दी सों महलन अटा तड़ाकाजाय ३७
रूप देखिकै बघऊदन का रानी गई सनाका खाय ।।
हाथ मेहरियन पर डारयो ना मानो कही बनाफरराय ३८
पूत सुपूते द्यावलिवाले कीरति छायरही चहुँओर ।।
महल हमारे जो तुम लूटै कीरति जाय सबै यहि ठोर ३९
फेंट बँधैया कोउ नाहीं है ना कोउ गहनयोग तलवार ।।
साँची बातैं हमरी मानो ठाकुर उदयसिंह सरदार ४०
सुनिकै बातैं महरानी की दोऊ हाथ जोरि शिरनाय ॥
ब्बला बेंदुला का चढ़वैया रानी साँच देयँ बतलाय ४१
जैसे माता मल्हना रानी तैसे आप हमारी माय ॥
यहु महराजा कनउज वाला द्वारे आय गयो विरझाय ४२
डोला लेबे हम अगमा का तब अब धरब अगारी पाँय ।।
बदला लेबे संयोगिनि का तब छाती का डाह बुताय ४३
तहँ जगनायक खुब बिगरे थे तिनहुन दीन तहाँ समुझाय ।।
अब समुझावत महरानी है बाँदी आप देउ पठवाय ४४
यह मनभाई महरानी के सुन्दरि बाँदी लीन बुलाय ।।
कपड़ा गहना सब आपन दै डोला उपर दीन बैठाय ४५
चलिभा डोला रंगमहल ते संगै चले बनाफरराय ।।
जहाँ कनौजी की भूरीथी होला तहाँ पहूँचा भाय ४६
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चन्दन खम्भा का मैदान । ५९९
