पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/६००

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

चन्दनखम्भाकामैदान । ५६६ तुम्हरे लाखनि के मुर्चामा कटिहैं'. पाय आपने भाय ।। होय लड़ाई घर अपने मा दुशमनशेरहोय अधिकाय ३५ हुकुम जो पावें लखरानाका महलन जाय तड़ाकाधाय ।। डोला लावें हम अगमा का राई टेक कनोजीराय ३६ सुनिकै वाते बघऊदन की लाखनि हुकुम दीन फरमाय ।। चला वनाफर तब जल्दी सों महलन अटा तड़ाकाजाय ३७ रूप देखिकै बघऊदन का रानी गई सनाका खाय ।। हाथ मेहरियन पर डारयो ना मानो कही बनाफरराय ३८ पूत सुपूते द्यावलिवाले कीरति छायरही चहुँओर ।। महल हमारे जो तुम लूटै कीरतिजाय सबै यहि ठोर ३६ फेंट वधया कोउ नाहीं है ना कोउ गहनयोग तलवार ।। साँची बातें हमरी मानो ठाकुर उदयसिंह सरदार ४० सुनिक बातें महरानी की दोऊ हाथ जोरि शिरनाय ॥ ब्बला बेंदुला का चढ़वैया रानी साँच देय बतलाय ४१ जैसे माता मल्हना रानी तसे आप हमारी माय ॥ यह महराजा कनउजवाला दारे आय गयो विरझाय ४२ तब अब धरब अगारी पाँय ।। बदला लेबे संयोगिनि का तब छाती का डाह बुताय ४३ तहँ जगनायक खुब विगरे थे तिनहुन दीन तहाँ समुझाय ।। अब समुझावत महरानी है बाँदी आप देउ पठवाय ४४ यह मनभाई महरानी के सुन्दरि बाँदी लीन बुलाय ।। कपड़ा गहना सब आपनदै डोला उपर दीन बैठाय ४५ चलिभा डोला रंगमहल ते संगै चले बनाफरराय ।। जहाँ कनौजी की भूरीथी होला तहाँ पहूँचा भाय ४६ डोला लेबे हम अगमा का