सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/६०६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

अथ पाल्हखण्ड।

बेला के सती होने के समय का युद्ध वर्णन ॥


सवैया ।।

भत्कन हेतु सवयं तनुधारि सदा बिपदा सुरसाधुहरी ।
हिरणाकश्यप दुःख दियउ तब रूपकियो नरसिंह हरी ॥
प्रह्लाद विभीषण औ हनुमान महानन में इन रेखपरी ।
अँबरीप औ अंगद की समता ललिते जगमें अब कौनकरी १

सुमिरन ॥


तुम्हैं बिनायक मैं सुमिरत हौं गणपति गणाध्यक्ष महराज ।।
बिघन हरण लम्बोदर स्वामी पूरण करो हमारे काज १
हे जगतारण भवभय हारण स्वामी एकदन्त महराज ॥
बिपति विदारण सब सुख कारण राखनहार जगतमें लाज २
तुमहीं ब्रह्मा औ विष्णू हो तुमहीं शम्भु सुरासुर काल ।।
तुम्हीं गोसइयाँ दीनबन्धु हौ स्वामी शिवाशम्भु के बाल ३