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अथ पाल्हखण्ड।
बेला के सती होने के समय का युद्ध वर्णन ॥
सवैया ।।
भत्कन हेतु सवयं तनुधारि सदा बिपदा सुरसाधुहरी ।
हिरणाकश्यप दुःख दियउ तब रूपकियो नरसिंह हरी ॥
प्रह्लाद विभीषण औ हनुमान महानन में इन रेखपरी ।
अँबरीप औ अंगद की समता ललिते जगमें अब कौनकरी १
सुमिरन ॥
तुम्हैं बिनायक मैं सुमिरत हौं गणपति गणाध्यक्ष महराज ।।
बिघन हरण लम्बोदर स्वामी पूरण करो हमारे काज १
हे जगतारण भवभय हारण स्वामी एकदन्त महराज ॥
बिपति विदारण सब सुख कारण राखनहार जगतमें लाज २
तुमहीं ब्रह्मा औ विष्णू हो तुमहीं शम्भु सुरासुर काल ।।
तुम्हीं गोसइयाँ दीनबन्धु हौ स्वामी शिवाशम्भु के बाल ३