पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/६०९

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आल्हखण्ड । ६०० मुण्डन केरे मुड़ चोश भे श्री रुण्डन के लगे पहार २९ मारे मारे तलवारिन के नदिया वही रक्तकी धार ।। कायर भागे समर भूमि ते अपने डारि डारि हथियार २३ । भूरा सय्यद का मुर्चा भा दूनों लड़न लागि सरदार ॥ दूनों मारें तलवारी सों दूनों लेय ढाल पर वार २४ उसरिन उसरिन दूनों खेलें जैसे कुवाँ भरै पनिहारि ।। वार चूकिगा भूरा जवहीं सय्यद हना तुरत तलवारि २५ मूड़ विसानी सो भूरा के तुरते गिरा भरहराखाय ।। भूरा जूझयो जब खेतन में पायो तुरत भुगन्ता धाय २६ । सो ललकासो फिरि सय्यदको अब रण सावधान लैजाय ।। धोखे भूरा के मूल्यो ना अवहीं यमपुर देउँ दिखाय २७ इतना कहिके वीर भुगन्ता तुरतै लीन्यो तीर चढ़ाय॥ बँचि कमनिया ते मारत भा सय्यद लैगे वार बचाय २८ घोड़ बढ़ायो फिरि सय्यद ने लैकै गुर्ज पहूंच्यो जाय ।। वीर भुगन्ता को ललकारा क्षत्री खवरदार लैजाय २६ वार हमारी ते बचि है ना दोजख अवै देउँ पहुँचाय ।। इतना कहिके क्रोधित हैक सय्यद माखो गुर्ज धुमाय ३० वार बचाई बीर भुगन्ता फिरित्यहिखचिलीन तलवार । ऍचि के मारा वीर भुगन्ता जूझयो वनरस का सरदार ३१ सय्यद, जूझयो जब मुर्चा में तबचदि अयो कनौजीराय ॥ गंगा ठाकुर तिन पाछे करि आगे गयो तड़ाकाधाय ३२ चीर भुगन्ता औं गंगा का परिगासमर बरोबरि आय ।। लस पिथौरा ओ कनवजिया अडतसमर कहा नाजाय ३३ आदिभयङ्कर पर पिरथी है लास्वनि भूरी पर असवार ।