पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/६१२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

बेलासतीअन्तमैदान । ६११ आवत दीख्यो लखराना को बोल्यो तुरत पिथौराराय ५८ आवो आवो लाखनिराना हमरे संग मिलो तुम आय ॥ हमरी सरवरि को तुमहीं हो ओ महराज कनौजीराय ५६ नीच बनाफर उदयसिंह है तासँग काहगयो बौराय ।। सोलह रानिन के इकलौता नाहक प्राण गँवायो आय ६० अवै मामिला कछु विगरा ना मानो कही कनौजीसय ॥ हमै शोच है इक कनउज का की निरंवंश राज है जाय ६१ बृद्ध बँदेले जयचंदराजा मानो कही कनौजीराय । सात पुत्र रण खेतन जुझे हमखोवंशनाश भय आय३२ अस नहिं चाहँ जस हम बॅगे मानो कही कनौजीराय ।। उमिरि तुम्हारी अतिथोरी है कच्ची बुद्धि गयो बौराय ६३ दोष हमारो सब कोउ देहें बालक हना पिथौराराय ।। त्यहिते तुमका समुझाइत है कच्ची बुद्धि कनौजीराय ६४ हमरी तुम्हरी कछु अटनस ना जो रए प्राण गँवायो प्राय ।। काह विगारा हम जयचंद का कची बुद्धि कनौजीराय ६५ सुखनहिंदीख्यो कछु दुनियाका नाहक प्राण गँवावो आय ॥ अव नहिकहैं कछलाखनिहम कच्ची बुद्धि कनोजीराय ६६ ताहर नाहर की समता हो कबी बुद्धि गयो बौराय ।। जो नहिं आवो हमरे दल में तो अब कूच जाउकरवाय ६७ पारस पैही जो दल ऐही कनउज गये प्राण रहिनाय।। इतना सुनिकै लाखनि बोले मानो कही पिथौराराय ६८ तुम्हरी बातें सब साँची हैं सोहम जानि दीन विमराय॥ पै अब बदला संयोगिनि का लेवे समर भूमि में आय ६६ यामें संशय कबु नाही है मानो साँच पियोसराय ।।