सवैया॥
जय जय देव मनावत तोहिं औ ध्यावतहउँ में गरीबनिवाजा।
बदलापितुकोज्यहिभांतिमिलै सोकरो बिभुदेवनहोयअकाजा॥
भक्कतुम्हार उदयसिंह ठाढ़ सो आयसु काह मिलय महराजा।
यहिभांतिअनेकनबारकह्योशिरनायरह्योललितनिजकाजा १०४
अस्तुति कीन्ह्यो मलखाने ने देबा ज्वरे खड़ा दोउहाथ ।।
पूजा कीन्ह्यो भल आल्हाने पाछे धरा चरणपर माथ १०५
मन्दिर बाहर सैयद ठाढ़ो सोऊ ध्यायरहा मनमांझ॥
चरि चरि गौवैं घरका डगरीं ओ ह्वैगई तहांपर सांझ १०६
उड़ि उड़ि पक्षी गये बसेरन नखतन कीन तहाँ उजियार॥
पूजाकरिकै सब बिधिवतसों तहँते चलत भये सरदार १०७
जायकै पहुंचे निज महलन में नयनन गई नींद अतिछाय॥
मलखे देबा आल्हा ऊदन सोये रामचन्द्र को ध्याय १०८
सैयद सुमिर्यो बिसमिल्ला को नाहर बनरस का सरदार॥
बिकट निशाकी ये बातैं हैं ज्वानो मानो कही हमार १०६
योगी जागैं सब आनँद सों चोरन बड़ी खुशी भै आय॥
माथ नवावों श्रीगणेश को औ रट राम राम मनलाय ११०
दोउ पद बन्दौं पितु अपने के जिन मोहिं बिद्या दीनपढ़ाय॥
स्वर्ग में बैठे सो सुख भोगैं सेवक कहै नित्त यशगाय १११
सब अभिलाषा पूरी ह्वैगै आशा रही राम के पाँय॥
आगे फौजैं मोहबे सजिहैं माड़ो जई बनाफरराय ११२
इतिश्री लखनऊनिवासि (सी,आई, ई) मुंशी नवलकिशोरात्मज बाबू
प्रयागनारायणजीकी आज्ञानुसारउन्नामप्रदेशान्तर्गत पँडरीकलां
निवासि मिश्रवंशोद्भव बुधकृपाशङ्करसूनु पं॰ललिताप्रसादकृत
ऊदनमातासंवादेमयमस्वरङ्ग १॥