पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/६४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

माडोका युद्ध । ५९ सवैया॥ जय जय देव मनावत तोहिं औ ध्यावतहउँ में गरीबनिवाजा। बदलापितुकोज्यहिभांतिमिलै सोकरो बिभुदेवनहोयअकाजा॥ भक्कतुम्हार उदयसिंह ठाद सो आयसु काह मिलय महराजा। यहिभांतिअनेकनबारकह्योशिरनायरह्योललितनिजकाजा १०४ प्रस्तुति कीन्ह्यो मलखाने ने देवा ज्वरे खड़ा दोउहाथ ।। पूजा कीन्ह्यो भल आल्हाने पाछे धरा चरणपर माथ १०५ मन्दिर बाहर सैयद गढ़ो सोऊ ध्यायरहा मनमाझ ॥ चरि चरि गौवे घरका डगरी ओ द्वैगई तहांपर सांझ १०६ उड़ि उड़ि पक्षी गये बसेरन नखतन कीन तहाँ उजियार।। पूजाकरिकै सब विधिवतसों तहते चलत भये सरदार १०७ जायकै पहुंचे निज महलन में नयनन गई नींद अतिछाय॥ मलखे देवा आल्हा ऊदन सोये रामचन्द्र को ध्याय १०८ सैयद सुमिलो बिसमिल्ला को नाहर बनरस का सरदार ॥ विकट निशाकी ये बातें हैं ज्वानो मानो कही हमार १०६ योगी जागें सब आनंद सों चोरन बड़ी खुशी मे आय ।। माथ नवावों श्रीगणेश को औरट राम राम मनलाय ११० दोउ पद बन्दों पितु अपने के जिन मोहिं विद्या दीनपढ़ाय।। स्वर्ग में बैठे सो सुख भोगें सेवक कहे नित्त यशगाय १११ सब अभिलाषा पूरी हूँगै आशा रही राम के पाँय ॥ आगे फौजें मोहबे सजिहैं माड़ो जई बनाफरराय ११२ इतिश्री लखनऊनिवासि (सी,आईई) मुंशी नवलकिशोरात्मज वावू भयागनारायणजीकी आज्ञानुसारउन्नाममदेशान्तर्गत पँडरीकलां निवासि मिश्रवंशोद्भव बुधकृपाशङ्करसूनु पं०ललितामसादकत अदनमातासंवादेमयमस्वरह १ ॥