पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/६६

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माडोका युद्ध । ६१ सय्यद सुमिलोबिसमिल्ला को मलखे सुमिरयो नन्दकुमार २ विंध्यवासिनी आल्हासुमिस्यो देवा रह्यो रामपद ध्याय ॥ देवी शारदा मइहरवाली सुमिरनलाग लहुरवाभाय ३ चरण शरण में हम तुम्हरी हैं दाया करो शारदामाय ॥ जीति के अइहाँ जो माड़ोते सोने छत्र चढेही आय ४ लज्जा राख्यो ओ महरानी मैं हौं सदा तुम्हारो दास ॥ नहीं भरोसा निज भुजबलका केवल एक तुम्हारी आस ५ ध्याय शारदा को ऊदन फिरि दोऊ हाथ जोरि शिरनाय ।। किह्यो दण्डवत महरानी की. जो गाढ़े मा होय सहाय ६ ऊदन बोल्यो फिरि आल्हासों दादा मानौ कही हमार॥ क्षण क्षण बीते जो मोहवे मा सो हम जान बर्ष हजार ७ जल्दी चलिये राजभवन में जहँ पै बैठि रजापरिमाल ।। बिदा मांगिकै महराजा- सों दादा चलन चही ततकाल - सुनिक बाते बघऊदन की आल्हा लीन ढाल तलवार ।। उठिकै ठाढ़े मे जल्दी सों सँगमें बनरसका सरदार ६ सभामें पहुँचे परिमालिक की पाँचो ठगढ़ भये शिस्नाय ॥ ॥ बोले आल्हा सों परिमालिक . काहे काहे खड़े- बनाफरराय १० सुनिकै बातें . परिमालिक की आल्हा कही हकीकत गाय ।। भई लहुरखा यहु बिगराहै माड़ो लेई बापका दाँय ११ सुनिक बातें ये आल्हा की राजा गयो सनाकाखाय ।। बोलि न आवा परिमालिकसे. मुँहका बिरा गयो कुम्हिलाय१२ बड़ी उदासी मुखपर छाई शिरसों गिरा छत्र महराय ।। सोचनलाग्योपरिमालिकफिरि मन ना कळू ठीक ठहराय १३ बहुतसोचिकैपरिमालिक फिरि बोल्यो सुनो उदयसिंहराय ।।