उमर तुम्हारी बहु थोरी है ताते धरा धीर ना जाय १४
जालिम राजा माड़ोवाला ऊदन मानो कही हमार॥
धुआँ न दीख्यो तुम तोपनका नहिंरणनांगिदीख तलवार १५
पटा बनेठी बाना गदका सीखो रोज बनाफरराय॥
जो जी चाहै सो तुम खावो कुश्ती लड़ो अखाड़े जाय १६
पै नहिं जावो तुम माड़ो को बेटा म्बरे उदयसिंहराय॥
सुनिकै बातैं परिमालिक की बोला तुरत बनाफरराय १७
बरा बरस का क्षत्री लरिका रणमा गहै नहीं तलवार॥
नालति त्यहिके फिरि जीवेका पैदा होबेका धिक्कार १८
बरह बरसके कृष्णचन्द्र रहैं मथुरा कंस पछार्यो जाय॥
कालयमन औजरासन्ध फिरि तिनपर कीन चढ़ाई आय १९
मोहरा मारा तिन दुष्टनका यह नित कहैं बिप्र सब गाय॥
मोहिं भरोसा शिरीकृष्ण का तिन बललेउँ बापका दाँय २०
सुनिक बातैं ये ऊदन की तब मनजानिलीन परिमाल॥
कहा हमारो यहु मानी ना नाहर देशराज का लाल २१
यहै सोचिकै परिमालिक ने घोड़ा पांच लीन मँगवाय॥
लीन कबुतरी को मलखाने बेंदुल लीन उदयसिंहराय २२
घोड़ करिलियाआल्हा लीन्ह्यो सिरगा बनरस का सरदार॥
लीन मनोहर फिर घोड़े को यहु भीषम का राजकुमार २३
जूझक कङ्कण सवालास का ऊदन हाथ दीन पहिराय॥
आशिष दीन्ह्यो परिमालिक ने माड़ो लेउ बाप का दाँय २४
जितनी फौज म्बरे मोहवे मा सवियाँ बेगि लेउ सजवाय॥
जावो माड़ो में पांचों मिलि मारो जाय करिंगाराय २५
सुनिकै बातैं परिमालिक की पांचों चलत भये शिरनाय॥
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आल्हखण्ड। ६२
