पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/७

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भाल्हखण्डा बरके लायक संयोगिनि है काके संग क्यिाही जाय १७ यहै. सोचिकै मन राजाने तुरतै पण्डित लीन बुलाय ।। सइति बतावो अब जल्दी सों जामें रचा स्वयम्बर जाय १८ सुनिक बाते महराजा की पण्डित साइति दीन बताय ।। मन्त्री बैठ रहै पासमाँ राजै हुकुमदीन फर्माय १६ न्यवत पठायो सब राजन को कनउज साजि करो तय्यार।। हुकुम पायकै महराजा को मन्त्री तुरत भयो हुशियार २० उटि सिंहासन सों ठाढ़ो भो राजा कनउज का सरदार ।। कियो पैलगी सब विपन को क्षत्रिन कीन्यो राम जुहार २१ ब्राह्मण क्षत्री गे अपने घर महलन गयो चंदेलाराय ।। आवत दीख्यो जब राजा को बांदी चली तड़ाका धाय २२ खवर सुनाई महरानी को महलन आवत कन्त तुम्हार॥ मुनिक बातें ये बांदी की रानी तुरत भई हुशियार २३ आगे गढ़ी भइ द्वारे पर राजा अटे बराबरि आय ।। पहिले राजा गे मन्दिर को पाछे चली आपहू जाय २४ पौढ्यो पलँगा पर महराजा आपो वैठि चरण ढिग जाय ॥ हरुये हरुये दोउ हाथन सों दोऊ लीन्ह्यो पैर उठाय २५ सो धरि राख्योनिज गोदी में औछाती में लिह्यो लगाय॥ चापन लागी धीरे धीरे सोक्न लाग चंदेलोराय २६ आपो सोई महराजा सँग मनमें रामचन्द्र को ध्याय ॥ भोर घरहरे पह फाटत खन पक्षी रहे सबै चिल्लाय २७ मन्त्री जागा महराजा का लीन्यो द्वारपाल को टेरे।। जल्दी लावो कोतवाल को यामें करो कळू ना देर २८ मुनिकै पाते ये मन्त्री की चलिमो द्वारपाल शिस्नाय ।। 7