पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/७०

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माडोका युद्ध । ६५ १७ पहिया दुरके तिन तोपन के धसकतिचली रसातलजायँ४८ को गति बरणे तिन तोपनकै कायर देखि देखि सकुचायें ।। शूर सिपाही ईजति वाले मनमाँ बड़े खुशी लैजायँ ४९ ऊदन बोले तब लश्कर में हमरे सुनो सिपाही भाय । जिन्हें पियारी हो घरतिरिया दोहरी तलव लेय घरजायँ ५० जिन्हें पियारा हो रणलोहा जूम चलें हमारे साथ ॥ सुनिक बातें बघऊदन की क्षत्रिन नाय रामको माथ ५१ हाथ जोरिके सब बोलतो मानो कही बनाफरराय ।। पाँउँ पछारी को डारें ना चहुतनधजीधजीउडिजाय ५२ सुनिक बातें रजपूतन की बोला द्यावलि क्यार कुमार ॥ स्याबसि स्याबसि ओ रजपूतो कलियुग रखिहौ धर्महमार ५३ झीलमबखतरपहिरि सिपाहिन हाथ में लीन ढाल तलवार । रणकी मौहरि बाजन लागी रणका होनलाग व्यवहार ५४ ढाढ़ी करखा वोलन लागे विप्रन कीन वेद . उच्चार ।। चढ़ा कबुतरी पर मलखाने ऊदन बेंदुलपर असवार ५५ घोड़ करिलिया आल्हा बैठे सिरगा बनरस का सरदार ॥ बैठ मनोहरा की पीठीपर देवा भीषम केर कुमार ५६ पहिल नगाड़ा में जिनबन्दी दुसरे फाँदि भये असवार ।। तिसर नगाड़ाके बाजत खन लश्करचलिभासाठिहजार ५७ आगे आगे तोपें चलि. पाछे चले मस्त गजराज ।। घंटा वाजें गर हाथिन के मानो कोपकीन सुरराज ५.८. खर खर खर खर के रथ दैारें, चह चह धुरी रहीं चिल्लाय ॥ चला रिसाला घोड़नवाला ताकी श्वमा कही नाजाय ५६ सत्रह दिनकी मैजलि करिकै माड़ो धुरा दवायनि जाय ।। । ।