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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/७७

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आल्हखण्ड। ७२

पूत सुपूते जो घर होते हमरी गया देत करवाय॥
सुनि सुनि बातैं ये रन केरी ऊदन गये सनाकाखाय १२९
आल्हा मलखे रोवन लागे सय्यद नैन नीरगा छाय॥
बांदी बोली तब योगिन ते योगी कहा गयो बौराय १३०
कौने राजा के लड़िका हौ सांचे हाल देउ बतलाय॥
देखि खुपड़ियनको रोवत कस हमरे धरा धीर ना जाय १३१
सुनिकै बातैं ये बांदी की मलखे बोले बचन बनाय॥
छोटो योगी यहु बालक है जो रन सुनिकैगयो डेराय १३२
तासों रोवैं हम योगी सब बांदी काह गई बौराय॥
भूत चुरैलैं हैं कोल्हुन में आभाबोलिबोलिरहिजायँ १३३
छोटो योगी यहु लड़िका है हिंयना चौंकिपरो सो आय॥
तासों रोवैं हम सब योगी बांदी सत्य दीन बतलाय १३४
सुनिकै बातैं ये योगिन की बाँदी गई हृदय हर्षाय॥
रानी कुशला की ड्योढ़ी पर योगी सबै पहूँचे जाय १३५
बांदी बोली फिरि योगिन ते भीतर चलो सबै जन भाय॥
इतनी सुनिकै मलखे बोले बांदी काह गई बौराय १३६
हम ना जैहँ रङ्गमहल को जो सुनिलेय बघेलाराय॥
गये जनाने में योगी हैं नाहक हमैं डरी मरवाय १३७
सुनिकै बातैं ये योगिन की बांदी गिरी चरण पर धाय॥
तुम्हें बुलायो महरानी है तब हम फेरि जुहाराआय१३८
साधु सन्त को सब कोउ मानैं क्षत्री बाम्हन हैं अधिकाय॥
यह नहिं लङ्का है रावण की ना हिंयबसैनिशाचरभाय १३९
निर्भय चलिये तुम भीतर को योगी भरम देउ बिसराय॥
सुनिकै बातैं ये बॉदी की योगी सबै चले हर्षाय १४०