छूटि सुमिरनी गै देवनकै शाका सुनो शूरमन क्यार॥
रानी कुशला के महलन में योगी बने बैठि सरदार ५
अथ कथाप्रसंग॥
रानी बोली तब योगिनते हमको भजन सुनावो गाय॥
सुनिकै बातैं ये रानी की सय्यद खँझड़ी लीन उठाय १
लइ इकतारा मलखे ठाढ़े आल्हा डमरू रहे घुमाय॥
बजै सरंगी भल देवाकै झकिझुकिनचैंउदयसिंहराय २
ता ता थे ई ता ता थे ई मलखे हाथन रहे बताय॥
भाव बतावै कमर झुकावै थिरकति फिरै लहुरखाभाय ३
कबों बँसुरिया धरि ओठनमाँ ऊदन बहुत निकारै राग॥
देखि तमाशा सब योगिन का रानी बड़ा कीन अनुराग ४
मोती मँगायो फिरि थाराभरि औ योगिनका दीन दिवाय॥
भरिकै मुठी तिन मोतिन का सूंघन लाग लहुरखा भाय ५
कौन रूख माँ ई उपजत हैं रानी हमैं देउ बतलाय॥
सुनिकै बातैं ये ऊदन की रानी मनै रही पविताय ६
कौन तपस्या खंडित ह्वैगै बारे डार्यो मूड़ मुड़ाय॥
मोती समुंदर में पैदा हैं केहू रूख न लागैं भाय ७
सुनिकै बातैं ये रानी की ऊदन म्बती दीन फैलाय॥
हीरा मोती जो हम बाँधैं मारग लेवैं चोर छिनाय ८
रानी मल्हना मोहबे वाली त्यहि दे डर्यो नौलखाहार॥
तैसि निशानी जो ह्याँ पावैं योगी खुशी होयँ तब द्वार ९
सुनिकै बातैं ये योगिन की रानी कहा वचन हर्षाय॥
करो तमाशा तुम महलन में तुमको हार देउँ मँगवाय १०
बेटी बिजैसिनि है अंटापर रूपा बाँदी लाउ बुलाय॥
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