पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/८०

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माडोका युद्धे । ७५ २७ छूटि सुमिरनी गै देवनकै शाका सुनो शूरमन क्यार । रानी कुशला के महलन में योगी बने बैठि सरदार ५ अथ कथाप्रसंग ।। रानी बोली तब योगिनते हमको भजन सुनावो गाय ॥ सुनिकै बातें ये रानी की सय्यद बँझड़ी लीन उठाय ? लइ इकतारा मलखे ठाढ़े आल्हा डमरू रहे घुमाय ।। बजै सरंगी भल देवाकै झकिझुकिन.उदयसिंहराय २ ता ता थे ई ता ता थे ई मलखे हाथन रहे बताय॥ भाव बतावै कमर झुकावै थिरकति फिरे लहुरखाभाय ३ कबों बँसुरिया धरि ओठनमाँ ऊदन बहुत निकार राग ॥ देखि तमाशा सब योगिन का रानी बड़ा कीन अनुराग ४ मोती मँगायो फिरि थाराभरि औ योगिनका दीन दिवाय ।। भरिकै मुठी तिन मोतिन का सूंघन लाग लहुरखा भाय ५ कौन रूख माँ ई उपजत हैं रानी हमें देउ बतलाय ।। सुनिक बातें ये ऊदन की रानी मनै रही पविताय ६ कौन तपस्या खंडित द्वैगै बारे डास्यो मूड़ मुड़ाय ।। मोती समुंदर में पैदा है केहू रूख न लागें भाय ७ मुनिक बात ये रानी की ऊदन म्वती दीन फैलाय ।। हीरा मोती जो हम · बाधं मारग ले चोर छिनायक रानी मल्हना मोहवे वाली त्यहि दे डरयो नौलखाहार ।। तैसि निशानी जो ह्याँ पात्रं . योगी खुशी होय तव द्वार सुनिक बातें ये योगिन की रानी कहा वचन हय ।। करो तमाशा तुम महलन में . तुमको हार देउँ मँगवाय १० बेटी बिजैसिनि है अंटापर रूपा वाँदी लाउ बुलाय ।। .