पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/८१

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२८ आल्ह खण्ड-1७६ देखि तमाशा ले योगिन का जाम जन्म सुफल लैजाय ११ सुनिक वातै महरानी की बाँदी चढ़ी अटापर धाय । स्ववत जगायो सतखंडापर वाँदीवार वार शिरनाय. १२ तुमहिं बुलायो कुशला रानी जल्दी चलो हमारे साथ ।। सुनिक बातें ये बाँदी की नायो रामचन्द्र को माथ १३ लैकै डिब्बा पानन वाला कई इक वीरा लीन लगाय ।। दुइ इक खाये मुख अपने माँ दुइ इक लीन्हे हाथ चपाय १४ चलिमे बेटी फिर अंटा ते सीढ़िन उतरि तरेगे श्राय ।। रानी कुशला के महलन में बेटी तुरत पहूँची जाय १५ वीरा दीन्हो बैरागिन को सो ऊदन ने डरा चवाय ।। रूप देखिकै बधऊदन का मूञ्छितगिरी धरणिमहराय १६ नैन बाण ऊदन के लागे सोऊ गिरे मूर्छा खाय ।। देखि तमाशा रानी कुशला तुरते गई सनाका खाय १७ योगी नाहीं तुम भोगी हौ औछल किह्यो यहाँपर आय॥ जल्दी बाँदी जा ड्योढ़ी पर औ करियाका लाउ बुलाय१८ वाधिक मुशर्के सव योगिन की औ कोल्हू माँ डरों पिराय ॥ देखिविजयसिनियोगीगिरिंगा यहिका पेट डरों चिरवाय १६ भुसा भरावों यहि पेटेमाँ अपने महल देउँ मँगवाय ।। इतना सुनिक मलखाने फिरि बोले तुरतै बचन बनाय २० छोटो योगी जो मरिज है महलन सागि देउँ लगवाय ।। डारि तमाखू वीरा लाई सोयोगीका दिह्यो खवाय २१ पीक लीलिगा बारो योगी मुछी खाय गिरा भहराय ।। ले जल छिनकन मलखे लागे तवजगिपरा लहुरखाभाय २२ बेटी विजेंसिनि उठि ठाढ़ी में रानी गोद वैलिंग जाय। 4