देखि तमाशा ले योगिन का जामें जन्म सुफल ह्वैजाय ११
सुनिकै बातैं महरानी की बाँदी चढ़ी अटापर धाय॥
स्ववत जगायो सतखंडापर बाँदी बार बार शिरनाय १२
तुमहिं बुलायो कुशला रानी जल्दी चलो हमारे साथ॥
सुनिकै बातैं ये बाँदी की नायो रामचन्द्र को माथ १३
लैकै डिब्बा पानन वाला कई इक वीरा लीन लगाय॥
दुइ इक खाये मुख अपने माँ दुइ इक लीन्हे हाथ चपाय १४
चलिभै बेटी फिर अंटा ते सीढ़िन उतरि तरे गै आय॥
रानी कुशला के महलन में बेटी तुरत पहूँची जाय १५
वीरा दीन्ह्यो बैरागिन को सो ऊदन ने डरा चबाय॥
रूप देखिकै बघऊदन का मूर्च्छितगिरी धरणिभहराय १६
नैन बाण ऊदन के लागे सोऊ गिरे मूर्च्छा खाय॥
देखि तमाशा रानी कुशला तुरतै गई सनाका खाय १७
योगी नाहीं तुम भोगी हौ औ छल किह्यो यहाँपर आय॥
जल्दी बाँदी जा ड्योढ़ी पर औ करियाका लाउ बुलाय १८
बाँधिकै मुशकैं सब योगिन की औ कोल्हू माँ डरों पिराय॥
देखिविजयसिनियोगीगिरिगा यहिका पेट डरों चिरवाय १९
भुसा भरावों यहि पेटेमाँ अपने महल देउँ मँगवाय॥
इतना सुनिकै मलखाने फिरि बोले तुरतै बचन बनाय २०
छोटो योगी जो मरिजै है महलन आगि देउँ लगवाय॥
डारि तमाखू बीरा लाई सोयोगीका दिह्यो खवाय २१
पीक लीलिगा बारो योगी मुर्च्छा खाय गिरा भहराय॥
लै जल छिनकन मलखे लागे तब जगि परा लहुरवाभाय २२
बेटी बिजैंसिनि उठि ठाढ़ी मैं रानी गोद बैठिगै जाय॥
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आल्हखण्ड। ७६
