पूंछन लागी तब बेटी ते काहे बदन गयो कुँभिलाय २३
रूप देखिकै इन योगिन का उरमें गई दया फिरि आय ॥
मात पिता बारे ते मरिगे तब इन डारे मूड़ मुड़ाय २४
ठाढ़े सोचों मैं मनमें यह तबलौं पाँव रपटिगा माय॥
डारि तमाखू बीरा लायूं ताते योगी गिरा भहराय २५
पाप न लावो कछु मन अपने माता सत्य दीन बतलाय॥
सुनिकै बातैं ये बिटिया की मनमासत्य समझिगैमाय २६
रानी बोली फिरि योगिन ते अब तुम करो तमाशा भाय॥
सुनिकै बातैं ये रानी की नाचन लाग लहुरवाभाय २७
गावन लागे मलखाने तब धुरपद सरंगीत औ ख्याल॥
धनि धनि माता इनकी कहिये ऐसा कहन लगीं सबबाल २८
एकते दुसरी बोलन लागी हमरी सुनो सखी तुम बात॥
बालम हमरे जो ये होवैं ऐसो बिधी बनावै नात २९
बैठि बिजनिया इनके ढ़ारैं मुख में सखी खबावैं पान॥
मुफल जन्म आपन हम मानैं मानो सखी बचन परमान ३०
तीसरि बोली फिरि आली सों आली करो बचन ममकान॥
रूप उजागर सब गुणआगर योगीसकलगुणनिकेखान ३१
हमहूँ मोहिन इन योगिन पर मानो सखी बचन तुम साँच॥
धड़कै आली म्वरि छाती अब औजरिरहिनबिरहकीआँच ३२
चौथी बोली का तुम बोलो हमरे लगे करेजे बान॥
तीषे नैना हैं योगिन के मानो अबै उतारे शान ३३
पँचयीं बोली का तुम बोलो सखियो सबै गइउ बौराय॥
कबहुँक पावैं हम पलँगा पर तो बैकुण्ठ धामको जायँ ३४
छठयीं बोली फिरि सखियन सों हमनिज जियकी देयँवताय॥
पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/८२
दिखावट
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२९
माड़ोका युद्ध। ७७
