पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/८४

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माडोका युद्ध । ७६ पाग बैंजनी शिरपर बाँधे गढ़े रहो बनाफरराय ४७ धक्का मास्यो बरि छाती मा चोली मसकि गई त्यहिठाँय॥ तब हम चितई दिशितुम्हरीका औ यह मनै लीन ठहराय४८ व्याही जैसे की ऊदन सँग की मरिजाब जहरको खाय ।। इतना मुनिकै ऊदन चलिमे अंटा उपर पहूँचे जाय ४६ सेज विछायो सो जल्दी सों तब यह कह्यो बनाफरराय ।। कारी कन्या की सेजिया पर ऊदन कबों धेरै ना पाँय ५० मूड़ मुड़ावा तुम्हरे कारण घर घर अलख जगावा आय।। पहिले अरुझे को सुरझावो पाछे सेज बिछावो जाय ५१ हाल बतावो सब माड़व का जासों लेय बापका दायँ ।। चोरी चोरा लैजैवे ना साँचेहाल दीन बतलाय ५२ तेहाराखी रजपूती का गुदड़ी अबों परी तलवार ।। हमको चाहो हाल बतावो नाही तजो प्रीति का तार ५३ सुनिकै. बाते बघऊदन की बोली तुरत बिजैसिनि नारि॥ किरिया करित्यो श्रीगंगा की याही लगे मोरि है आरि ५४ सुनिकै बातें ये कन्या की तुरतै बँचिलीन तलवार॥ बिना वियाहे तुमका छाँड़ों तो मोहि लागै पाप अपार ५५ सुनिकै बातें उदयसिंह की कन्या कहो बचन शिरनाय । किला कठिन है लोहागढ़का तहँ ना जयो बनाफरराय ५६ पनिहासोते लों खंदक हैं जम्बा करै तहाँ को राज॥ गर्भ गिरावनि तह तो हैं वहँ नहिं सरै तुम्हारोकाज ५७ किला कठिन है फिरिझांसीका जहँ पर रहै करिंगाभाय ।। किला तीसरे सूरज भैया तहौं न जयो बनाफरराय ५८ तोप लगावो बबुरी बनमा तो मिलिजाय बापका दायें ।