पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/८५

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३२ आल्हखण्ड/८० । वात हमारी पै मूल्यो ना साँचीकियोउदयसिंहराय ५६ विना वियाहे तुमका जावें हमका लौटि भगौती खायें । आल्हा देखें ह्याँ गलियनमा कहूं न दीख लहुरखा भाय ६० गड़े सोचन आल्हा लागे मनमा वारवार पछिताय ॥ मुख दिखलेहाँ कस मल्हनाको राजे काह सुनहीं जाय ६१ धावलि माता जो सुनि पैहें तो मरिजायँ पुत्र के घाय ॥ सिढ़ियन सिढ़ियन ते नीचे है उदन तुरत पहूँचे आय ६२ देखिकै ऊदन को आल्हा ने तुरतै छाती लीन लगाय ॥ देर लंगाई कहँ भाई तुम सो मोहिं हाल देवबतलाय ६३ सुनिकै बातें ये आल्हा की बोले उदयसिंह बलवान ।। व्यटीविजैसिनि रनिकुशलाकी सो वह हमैं गई पहिचान ६४ व्याह हमारे सँगमा कीन्यो हमते कसम लीन करवाय ।। हाल बतायो सब माडो का दादा सत्य दीन बतलाय ६५ मुनिकै वात ये ऊदन की आल्हा वोले वचन रिसाय ।। व्याह न करिहैं हम वैरी घर मानो कही उदयसिंहराय ६६ जब सुधि करि है निजधर केरी स्वावत हने त्वरे तलवारि॥ मरे केकई सौ दशरथ हैं अजहूं करें दुर्दशा नारि ६७ इतनी सुनिक मलखे वोले दादा मानो कही हमार।। पहिले बदला लेउ बाप को पाछे फेरि कियो तकरार ६८ इतनी सुनिके पांचो चलिमे लोहागढ़े पहूँचे आय ॥ देखिकै फाटक लोहागढ़ को आल्हासोचिसोचिरहजायँ६६ कठिन मवासी गढ़माड़ो है कैसे मिले वाप का दायँ ॥ बातें मुनिक ये आल्हा की बोले तुरत बनाफरराय ७० रूपा जो होई नारायण की तो मिलि जई वापका दायँ ॥