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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/८५

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आल्हखण्ड।८०

वात हमारी पै भूल्यो ना साँचीकिह्योउदयसिंहराय ५९
बिना बियाहे तुमका जावैं हमका लौटि भगौती खायँ॥
आल्हा देखें ह्याँ गलियनमा कहूं न दीख लहुरवा भाय ६०
ठाढ़े सोचन आल्हा लागे मनमा बारबार पछिताय॥
मुख दिखलैहौं कस मल्हनाको राजै काह सुनैहौं जाय ६१
द्दावलि माता जो सुनि पैहैं तौ मरिजायँ पुत्र के घाय॥
सिढ़ियन सिढ़ियन ते नीचे ह्वै ऊदन तुरत पहूँचे आय ६२
देखिकै ऊदन को आल्हा ने तुरतै छाती लीन लगाय॥
देर लगाई कहँ भाई तुम सो मोहिं हाल देवबतलाय ६३
सुनिकै बातैं ये आल्हा की बोले उदयसिंह बलवान॥
ब्यटीबिजैसिनि रनिकुशलाकी सो वह हमैं गई पहिचान ६४
ब्याह हमारे सँगमा कीन्ह्यो हमते कसम लीन करवाय॥
हाल बतायो सब माड़ो का दादा सत्य दीन बतलाय ६५
सुनिकै बातैं ये ऊदन की आल्हा बोले वचन रिसाय॥
ब्याह न करि हैं हम बैरी घर मानो कही उदयसिंहराय ६६
जब सुधि करि है निजधर केरी स्वावत हनै त्वरे तलवारि॥
मरे केकई सों दशरथ हैं अजहूं करैं दुर्दशा नारि ६७
इतनी सुनिकै मलखे बोले दादा मानो कही हमार॥
पहिले बदला लेउ बाप को पाछे फेरि किह्यो तकरार ६८
इतनी सुनिकै पांचो चलिभे लोहागढ़ै पहूँचे आय॥
देखिकै फाटक लोहागढ़ को आल्हासोचिसोचिरहजायँ ६९
कठिन मवासी गढ़माड़ो है कैसे मिलै बाप का दायँ॥
बातैं सुनिकै ये आल्हा की बोले तुरत बनाफरराय ७०
कृपा जो होई नारायण की तौ मिलि जई बापका दायँ॥