कायर सोचैं इन बातन का दादा तुम्हरी स्वचै बलाय ७१
राजा जम्बै की ड्योढ़ी माँ योगी सबै पहूंचे जाय॥
मलखे बोले दखानी सों हमरी खबरि जनावो जाय ७२
योगी आये बंगाले ते आगे हरद्वार को जायँ॥
सुनिकै बातें ये योगिन की बोला द्वारपाल मुसुकाय ७३
जैसे पहिले है आयेते तैसे फेरि पहूंचोजाय॥
राजा जम्बै की ड्योढीमाँ योगिनअलखजगायोआय ७४
लागि कचहरी है जम्बैकी भारी लाग भारी लाग राजदरवार॥
बैठक बैठे सबक्षत्री हैं एकते एक शूरसरदार ७५
करिया बैठो तहँ दहिने है टिहुनन धरे नांगितलवार॥
बँयें हाथते किह्यो बन्दगी यहुद्यावलिका राजकुमार ७६
देखिकै करिया राहुट ह्वैगा नैना अग्नि बरण ह्वैजायँ॥
करिया देख्यो दिशियोगिनके कारनाग ऐस मन्नाय ७७
बँयें हाथते कियो बन्दगी योगी काहगयो बौराय॥
सम्मुख हमरे अब आवोना नाहीं सबैदेउँ पिटवाय ७८
सुनिकैं बातैं ये करियाकी बोला उदयसिंह ज्यहिनाम॥
दहिने करसों जपैं सुमिरनी दहिने लेयँ रामकानाम ७९
तौने करसों करैं बन्दगी हमरो योगभंग ह्वैजाय॥
सुनिकै बातैं ये योगीकी बोला तुरत करिंगाराय ८०
सच्चे गुरुके तुम चेलाहौ योगी सच्चा ज्ञान तुम्हार॥
तान सुनावो म्बरमहलनमें योगी मानो कही हमार ८१
लीन सरंगी को देवा तव सय्यद सझरी लीनउठाय॥
मलखे ठाढ़े आल्हा डमरू रहे घुमाय ८२
जैसे जङ्गल नचैमुरैला तैसे नचै लहुरवाभाय॥
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माड़ोका युद्ध। ८१
