पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/८६

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माडोका युद्ध । ८१ कायर सोचें इन बातन का दादा तुम्हरी स्वचै बलाय ७१ राजा जम्बै की ड्योढ़ी माँ योगी सबै पहूंचे जाय ॥ मलखे वोले दखानी सों हमरी खबरि जनावो जाय ७२ योगी आये बंगाले ते आगे हरद्वार को जायँ ।। सुनिकै बातें ये योगिन की बोला द्वारपाल मुसुकाय ७३ जैसे पहिले है आयेते तैसे फेरि पहूंचोजाय ।। ॥ राजा जम्चे की ड्योढीमाँ योगिनअलखजगायोआय ७४ लागि कचहरी है जम्बकी भारी लाग भारी लाग राजदरवार ॥ बैठक बैठे सवक्षत्री हैं एकते एक शूरसरदार ७५ करिया बैठो तहँ दहिने है टिहुनन धरे नांगितलवार ॥ बाँयें हाथे कियो बन्दगी यहुद्यावलिका राजकुमार ७६ देखिकै करिया राहुट द्वैगा नैना अग्नि वरण लैजायँ ॥ करिया देख्यो दिशियोगिनके कारनाग ऐस. मन्नाय ७७ बँयें हाथते कियो बन्दगी योगी काहगयो बौराय ॥ सम्मुख हमरे अब आवोना नाहीं सबैदेउँ पिटवाय ७६ सुनिक बातें ये करियाकी बोला उदयसिंह ज्यहिनाम । दहिने करसों जमैं सुमिरनी दहिने लेय रामकानाम ७६ तौने करसों करें बन्दगी हमरो योगभंग द्वैजाय ।। सुनिकै वात ये योगीकी बोला तुरत करिंगाराय ८० सच्चे गुरुके तुम चेलाही योगी सच्चा ज्ञान तुम्हार ।। तान सुनावो म्बरमहलनमें योगी मानो कही हमार ८१ लीन सरंगी को देवा तव सय्यद सझरी लीनउठाय ।। मलखे ठाढ़े आल्हा डमरू रहे धुमाय ८२ जैसे जङ्गल नचैमुरेला तैसे नचे तैसे न लहुरवाभाय । लै इकतारा