पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/८८

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माडोका युद्ध । ८३ ३५ हरवा देखत लाखापातुरि तुरतै हाल गई सब जानि ॥ ईतो लड़िका हैं द्यावलि के अपनोवदनछिपायोआनि ६४ किह्यो इशारा अस योगिनको ज्यहिमाँ चले बेगिही जायँ ॥ जो कहुँ जानी जम्नै राजा तुरतै डारी इन्हें मराय ६५ जानि इशारा को योगी गे तुरतै ब्बला लहुरवा भाय ॥ बारह बरसें तुमका राइनें अब हम मोहबा देवदिखाय ६६ ६ बिदा मांगिक महराजा सों योगी चले तुरतही धाय॥ योगी पहुँचे पचपेड़न तर लाखा लीन्ह्यो हार छिपाय ६७ उड़ा दुपट्टा जब वायू सों चमकन लाग नौलखा हार ।। चमकत दीख्यो त्यहि हरवाको राजा माड़ो का सरदार ६८ जम्बै बोले तब लाखा ते सांचे हाल देव बतलाय ॥ हरवा दीन्ह्यो को तुम को है हमरे धीर धरा ना जाय 88 हाथ जोरिकै लाखा बोली यह तकसीर माफ लैजाय । राह चलन्ते योगी आये हम को हार गये पहिराय १०० इतना सुनिकै राजा जम्बा तुरतै गयो सनाकाखाय ॥ करिया बेटा ते बोलत भा अब तुम रंगमहलकोजाय१०१ हार नौलखा मोहवे वाला सो मोहिं बेगि दिखावै आय ।। इतना सुनिकै करिया चलिभा पहुँचा रंगमहल में जाय १०२ आवत दीख्यो जब करिया को कुशला मिली तुरतही आय ॥ कौन काम को तुम आये हो करिया हमैं देउ बतलाय १०३ हार मँगाय देउ मोहवे का राजे तुरत दिखावें जाय ॥ लरी टूटिगय त्यहि हवा के सो पटवा घर दीन पठाय १०४ टूटो टाटो जस कछु होवे तप्त तुम हमें देव मँगवाय ॥ थर थर कांपी महरानी तब बोली क कही ना जाय १०५ !