पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/८९

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आल्हखण्ड। ३६ योगी आये म्बरे महलन में तिनका हारदीन पहिराय ।। सुनिक बातें ये माता की राजै खवार जनायो आय १०६ धोखे योगिनके मूल्यो ना वै राजन के राजकुमार ।। घरघर लूटा तिन माड़ो भल वै लैगये नौलखाहार १०७ सुनिकै वातें ये करिया की जम्चे हुकुमदीन फरमाय ॥ पकरिलयआवोतुम योगिनको हमरी नजर गुजारोआय १०८ उनहीं पायन करिया चलिभो अपनी लिहे ढाल तलवार । जायकै पहुँचा पचपेड़ा तर गर्मीई हांकदीन ललकार १०६ तुम्हें बुलावत महराजा हैं योगिउ चलो हमारे साथ। लौटैकेरी म्बहिं आज्ञा ना हमरे सत्य सुमिरनी हाथ ११० सुनिके बातें ये योगिनकी करिया खंचिलई तलवारि ।। पाँव अगाड़ी को डास्यो जो खण्डाकरों तुरतही चारि १११ बातें सुनिक ये करिया की ऊदन बँचिलीन तलवारि ॥ धोखे योगी के भूले ना नहिंशिरकाटिदेउँभुइँडारि ११२ आल्हा मलखे देवा सय्यद इनहुन बँचिलई तलवार । दौरे करियाके ऊपर सब गई हांकदेत ललकार ११३ करिया सोच्यो अपने मनमाँ ये नहिं योगिनकर कुमार। ये हैं लड़िका मोहने वाले एक ते एक शूरसरदार ११४ जो हम बोलें इन योगिनते तो फिरिजाय प्राणपर आय ॥ यह सोचिकै करिया लौटो जम्बाढिगै पहूँचा जाय ११५ हाथ जोरिकै करिया बोलो दादा मानो कही हमार ॥ धोखे भूल्यो ना योगिनके वै द्यावलिके राजकुमार ११६ सुनिक बातें ये करिया की वोला माडोका सरदार ।। तुरत नगड़ची को बुलवावो फौजें सबै होय तय्यार ११७