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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/८९

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आल्हखण्ड। ८४

योगी आये म्बरे महलन में तिनका हारदीन पहिराय॥
सुनिकै बातैं ये माता की राजै खबरि जनायो आय १०६
धोखे योगिनके भूल्यो ना वै राजन के राजकुमार॥
घरघर लूटा तिन माड़ो भल वै लैगये नौलखाहार १०७
सुनिकै बातैं ये करिया की जम्बै हुकुमदीन फरमाय॥
पकरिलयआवोतुम योगिनको हमरी नजर गुजारोआय १०८
उनहीं पाँयन करिया चलिभो अपनी लिहे ढाल तलवार॥
जायकै पहुॅचा पचपेड़ा तर गरूई हांकदीन ललकार १०९
तुम्हैं बुलावत महराजा हैं योगिउ चलो हमारे साथ॥
लौटैकेरी म्बहिं आज्ञा ना हमरे सत्य सुमिरनी हाथ ११०
सुनिकै बातैं ये योगिनकी करिया खैंचिलई तलवारि॥
पाँव अगाड़ी को डार्यो जो खण्डाकरों तुरतही चारि १११
बातैं सुनिकै ये करिया की ऊदन खैंचिलीन तलवारि॥
धोखे योगी के भूले ना नहिंशिरकाटिदेउँभुइँडारि ११२
आल्हा मलखे देवा सय्यद इनहुन खैंचिलई तलवार॥
दौरे करियाके ऊपर सब गरूई हांकदेत ललकार ११३
करिया सोच्यो अपने मनमाँ ये नहिं योगिनकर कुमार॥
ये हैं लड़िका मोहबे वाले एक ते एक शूरसरदार ११४
जो हम बोलैं इन योगिनते तौ फिरिजाय प्राणपर आय॥
यह सोचिकै करिया लौटो जम्बाढिगै पहूँचा जाय ११५
हाथ जोरिकै करिया बोलो दादा मानो कही हमार॥
धोखे भूल्यो ना योगिनके वै द्यावलिके राजकुमार ११६
सुनिकै बातैं ये करिया की बोला माड़ोका सरदार॥
तुरत नगड़ची को बुलवावो फौजैं सबै होयँ तय्यार ११७