योगी पहुँचे त्यहि तम्बू में जहँ पर रहै देवलदे माय॥
जितनी गाथा रहै माड़ो की ऊदन सबै गये तहँ गाय ११८
मुनिकै बातैं बघऊदन की माता बड़ी खुशी ह्वैजाय॥
नदी नर्मदा के ऊपर माँ तम्बू बैठि बनाफरराय ११९
ऊदन बोले तहँ आल्हा ते दादा मानो कही हमार॥
बरह कोस को है बबूरीबन ह्याँपर रहै सदा अँधियार १२०
गम्य सिपाहिन कै नाहीं है ह्याँपर काह करैं असवार॥
हुकुम जो पावैं हम दादा को तौ कटवाय करैं उजियार १२१
सुनिकै बातैं ये ऊदन की आल्हा हुकुम दीन फर्माय॥
चला कुल्हाड़ा तब बबुरीबन लागे गिरन वृक्ष अरराय १२२
गा हरकारा तब टोंडरपुर टोंडरमलै जुहारो जाय॥
राजा आये हैं मोहबे के ते बबुरी बन रहे कटाय १२३
सुनिकै बातैं ब्यटा अनूपी धावन तुरत लीन बुलवाय॥
जाय नगड़ची ते बोलौ तुम पुरमें डौंड़ी देय बजाय १२४
खबर नगड़ची सो पावत खन तुरतै डौंडी दीन बजाय॥
चला दरोगा हाथिनवाला तिनकीसाँकरिदीनछराय १२५
हथी महावत हाथी लैकै तिनका जमीं दीन बैठाय॥
डरी आँबारी तिन हाथिन पर ऊपर हौदा दीन धराय १२६
चांदी हौदा क्यहु हाथी पर सोने कलश धरे सजवाय॥
डारिकै रस्सा रेशमवाले तिनकोतुरतदीनकसवाय१२७
सजिगे हाथी जब टोंडरपुर घोड़ा होन लागि तय्यार॥
हरियल मुश्की ताजी तुरकी नकुलासब्जाघोड़अपार १२८
घोड़ा सजिगे सब जल्दी सों तिनपर होन लाग असवार॥
लाँग चढ़ाये सब धोतिनकी हाथम लिहे ढाल तलवार १२९
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माड़ोका युद्ध। ८५
