पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/९१

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आल्ह खण्ड।८६ कउ कउ घोड़ा हिरन चालपर कउ कउ मोर चालपर जायें। कावा घूमैं कउ कउ घोड़ा कउ कट सर्पटरहा चलाय ९३० सजा रिसाला घोड़नवाला पैदर होन लागि तय्यार ॥ झीलम बखतर पहिरिसिपाही हाथम लीन ढाल तलवार१३१ मेघागजनि विजुली तड़पनि तो सबै भई तय्यार।। मारू डंका बाजन लागे विप्रन कीन वेद उच्चार १३२ रणकी मौहरि वाजन लागी घूमन लागे लाल निशान ।। गर्द उड़ानी है पृथ्वी में छाई रई तुरत असमान १३३ और बयरिया डोलन लागीं और होन लाग व्यवहार। सजा दुलरुवा यहु अनुपी का ज्यहिकानेकुनलागी वार १३४ लॉग चढ़ाई त्यहि रेशम की कम्मर दुइ बांधी तलवार।। अगल बगल पर दुइ पिस्तौलें दहिने हाथे लीन कदार १३५ वायें भाला नागदनिका दहिने परी गँड़की ढाल॥ सुरखा घोडाको मँगवायो मनमेंसुमिखोअवधभुवाल १३६ माथ नवायो श्रीगणेश को औ सुर्यनको कीन प्रणाम। सुमिरि भवानी शिवशंकर को लीन्योकृष्णचन्द्रकोनाम १३७ टोडरमल दहिने पर आये सजा घोड़े पर असवार ।। कूत्र के डंका वाजन लागे सबदलतुरतभयोहुशियार१३८ कूच करायो टोडरपुर ते बबुरी बनें पहूंचे आय ।। मुनि सुनि डंकाके शव्दन को चौंका तुरत लहुरवाभाय १३६ हुकुम लगायो निज फौजन में क्षत्री तुरत भये हुशियार ॥ झीलमवावतर पहिरिसिपाहिन हाथम लई दाल तलवार १४० घोड़ा मनोहरा की पीठीपर देवा तुरत भयो असवार ।। बहा दुला की पीठीपर यहुद्यावलिकोराजकुमार १४१