पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/९२

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माडोका युद्ध । ८७ ३६ बेटा अनूपी आगे बैंकै आयो जहाँ उदयसिंहराय ।। कहाँ से आयो औ कह ही आपनहाल देउ बतलाय १४२ कौन बहादुर अस दुनियाँ माँ जो बबुरीबन रहा कटाय ।। बेटा अनूपी की बाते सुनि तुरतै बला बनाफरराय १४३ फौज हमारी माड़ो जैहै यहु बनबड़ा घना है भाय ॥ हैं परिमालिक जो मोहवे के जिनकाकही चंदेलाराय १४४ हमतो नौकर तिन घर केरे हमरो नाम उदयसिंहराय ।। बेटा अनूपी तब समुझायो ऊदन लौटि मोहोबे जाय १४५ इतनी सुनिकै ऊदन बोले क्षत्री मानो कही हमार।। घोड़ा पपीहा लाखा पातुरि औ मँगवाउ नौलखा हार १४६ दै पचशब्दा हाथी देवो विजमा ब्याह देउ करवाय ॥ सूड़ काटिक नृपजम्बा का हमरी नजरि गुजारोआय१४७ बेटा अनूपी सुनि रिसहा भा औक्षत्रिन ते कहा सुनाय ॥ जान न पावें मोहबे वाले टेटुवाटायर लेउ छिनाय १४८ बेटा अनूपी की बातें सुनि रिसहा भयो बनाफरराय ।। तुरत दरोगा को ललकारयो चरखिन तो देउ चढ़ाय १४६ बची दैद्यो मोरि तोपनमाँ इन पाजिन को देउ उड़ाय ॥ सुनिकै बातें बघऊदन की गोलंदाज पहूंचे आय १५० गोला डारे तिन तोपनमाँ मुम्मा मारै फेरि चलाय॥ धरिकै रंजक फिरि प्यालन में ऊपर बत्तीदई लगाय १५१ सवैया॥ गोलाचले तब ओलासमान मनो घनसावनको चढिायो। भूमि अकाश न सूझिपरै धुवना दोउफौजनमें अतिछायो । घावपरै बहुहाथिन वाजिन ऊंटन के दलको विचलायो।