पहिले लोहै तुम्हरी द्याखैं फिरिकचलोहियादेखुहमार १६४
सुनिकै बातैं ये ऊदन की अनुपी भाला लीन उठाय॥
दूनों अँगुरिन भाला तौलै कालीनाग ऐस मन्नाय १६५
छुटिगा भाला जो हाथेते कम्मर मचा उनाका जाय॥
घोड़ा बेंदुला बायें ह्वैगा औबचिगयो लहुरवाभाय १६६
हँसिकै बोल्यो तब अनुपीते यहु रणबाघु उदयसिंहराय॥
दूधु लरिकई माँ पायो ना तुम्हरे मरे चढ़ै ना घाय १६७
अब तुम सुमिरौ यहिसमयामाँ जो गाढ़े माँ होयसहाय॥
वार हमारी ते बचिजायो घरमाँ छठी धरायो जाय १६८
अब ना बचिहौ रणखेतनमें अनुपी सम्हरि होउ हुशियार॥
इतना कहिकै बघऊदन ने नंगी खैंचिलीन तलवार १६९
मरी सिरोही तब अनुपी के धरती गिर्यो भरहराखाय॥
मरिगा अनुपी रणखेतन माँ टोंडरमलौ पहूँचा आय १७०
औ ललकारा बघऊदन का अब तुम खबरदार ह्वैजाय॥
धोखे अनुपी के भूल्यो ना अबहीं सरगदेउँपहुँचाय १७१
खैंचि सिरोही लइ कम्मर से औ ऊदन पर दई चलाय॥
वार ढालपर ऊदन लीन्ह्यो टोंडर हाथ मूठि रहिजाय १७२
टूटि सिरोही गै टोंडर के तब मनसोचभयो अधिकाय॥
एँड़ लगायो फिरि बेंदुलके टोंडरपास पहूँच्यो आय १७३
ढाल कि औझड़हनिकै मार्यो औ घोड़ाते दियो गिराय॥
बाँधिकै मुशकैं फिरि टोंडर की लश्करतुरतदीनपहुँचाय१७४
मारु बन्दभै तव हुँवना पर सायंकाल पहूँचा आय॥
तारागण सब चमकन लागे संतन धुनी दीन परचाय १७५
परे आलसी निज निज शय्या घों घों कण्ठ रहा घर्राय॥
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माड़ोका युद्ध। ८६
