पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/९६

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माडोका युद्ध । ४३ श्रय फयामसंग॥ गा हरकारा फिरि माड़ो को बारहदरी पहूँचा जाय ॥ वेटा जम्बै को सूरजमल तहँपर रहा रामको ध्याय १ खबरि सुनाई हरकाराने अनुपी मरण गयो सबगाय ॥ सुनिक बातें हरकारा की हरकारा की मनजरिमरयो बघेलाराय २ तुरत नगड़ची को बुलवायो डंका तुरत दीन बजवाय ॥ हाथी घोड़ा औ तोपन को बबुरीवन का दीन हँकाय ३ हरियल घोड़ाकी पीठी पर आपो फांदिभयो असवार ॥ माथ नायकै श्रीगणेश को औ मन सुमिरयो नन्दकुमार४ सुमिरि भवानी जगदम्बाको औशिव रामचन्द्रको ध्याय ॥ सूरज चलिभा बबुरीबनको औ रणखेत पहूँचा प्राय ५ आगे लश्कर के सूरजमल गई हांक दीन ललकार ।। ॥ काकी माता नाहर जायो काके जमे करेजे. बार ६ को कट्वावत है बबुरीबन औ को मोहवेका सरदार ॥ कौन कहावत उदयसिंह है किसने डरा अनूपी मार ७ घोड़ा बेंदुला पर टहलत रहै यहु रणबाघु लहुरखा भाय । ॥ मुनिक बातें सूरजमल की तुरतै बला बनाफरराय ८ हमरी माता नाहर जायो हमरे जमे करेजे बार॥ हम कटवावत हैं बबुरीबन हमहीं डरा अनूपी मार : कही सुना भा जब दूनों माँ दूनों कुँवर गये अलगाय॥ सूड़ेि लपेटा हाथी भिडिगे अंकुश भिड़े महौतनभाय १० वम्ब के गोला छूटन लागे धुवना रहा सरग में छाय ।। गोली भोलासम बरसत भइँ भन भन भन्न भन्न भन्नाय ११ छाय अँध्यरिया गै दिनही में औ तिलडरा भुई ना जाय।।