अथ कथाप्रसंग॥
गा हरकारा फिरि माड़ो को बारहदरी पहूँचा जाय॥
बेटा जम्बै को सूरजमल तहँपर रहा रामको ध्याय १
खबरि सुनाई हरकाराने अनुपी मरण गयो सबगाय॥
सुनिकै बातैं हरकारा की मनजरिमर्यो बघेलाराय २
तुरत नगड़ची को बुलवायो डंका तुरत दीन बजवाय॥
हाथी घोड़ा औ तोपन को बबुरीबन का दीन हँकाय ३
हरियल घोड़ाकी पीठी पर आपो फांदिभयो असवार॥
माथ नायकै श्रीगणेश को औ मन सुमिरयो नन्दकुमार ४
सुमिरि भवानी जगदम्बाको औ शिव रामचन्द्रको ध्याय॥
सूरज चलिभा बबुरीबनको औ रणखेत पहूँचा आय ५
आगे लश्कर के सूरजमल गरूई हांक दीन ललकार॥
काकी माता नाहर जायो काके जमे करेजे बार ६
को कटवावत है बबुरीबन औ को मोहबेका सरदार॥
कौन कहावत उदयसिंह है किसने डरा अनूपी मार ७
घोड़ा बेंदुला पर टहलत रहै यहु रणबाघु लहुरवा भाय॥
सुनिकै बातैं सूरजमल की तुरतै बला बनाफरराय ८
हमरी माता नाहर जायो हमरे जमे करेजे बार॥
हम कटवावत हैं बबुरीबन हमहीं डरा अनूपी मार ९
कही सुना भा जब दूनों माँ दूनों कुँवर गये अलगाय॥
सूँड़ि लपेटा हाथी भिडिगे अंकुश भिड़े महौतनभाय १०
बम्ब के गोला छूटन लागे धुँवना रहा सरग में छाय॥
गोली ओलासम बरसत भइँ भन भन भन्न भन्न भन्नाय ११
छाय अँध्यरिया गै दिनही में औ तिलडरा भुईं ना जाय॥