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पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/९८

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माड़ोका युद्ध। ९३

वार हमारी ते बचिजाये घरमाँ छठी धराये जाय २४
यह कहि मारा तलवारी को शिरपर परी सूर्य के जाय॥
फटिकै खुपरी दुइ टूका भे सूरज गिरा भरहराखाय २५
सूरज गिरतै परलय ह्वैगै लशकर तितिरबितिरह्वैजाय॥
भागि सिपाही गढ़ माड़ो को जम्बै शरण पहूँचे आय २६
सुनी सिपाहिन की बातैं जब राजा जम्बै उठा रिसाय॥
हुक्म लगायो फिरि करियाको बबुरीबनै पहूँचो जाय २७
करिया बोल्यो त्यहि समया में हमरे सुनो शूर सरदार॥
तुरत नगड़ची को बुलवावो सबियाँ फौज होय तय्यार २८
बजो नगाड़ा तब माड़ो में भादों मेघ सरिस हहराय॥
हथी महावत हाथी लैकै तुरतै भूमि दीन बैठाय २९
चुम्बक पत्थर के हौदा धरि जिनमाँ सेल बरौंचा खाय॥
धरी अँबारी तिन हाथिन पर हौदन कलशदीन धरवाय ३०
घंटा बांधे गलहाथिन के भारी देत चलत झनकार॥
यक यक हाथी के हौदापर दुइ दुइ बीर भये असवार ३१
तुरत दरोगा घोड़न वाला ताजी तुरकी कीन तयार॥
नकुला सब्जा पँचकल्यानी सुर्खा सुरँगा रङ्ग अपार ३२
गंगा यमुनी डरी रकावैं मुहँमाँ दीन लगाम लगाय॥
डरी हयकलैं तिन घोड़नके रेशम तंग दीन कसवाय ३३
पुट्ठन बुट्टा रचि मेहँदी के सुम्मन नालैं दीन बँधाय॥
पूंजी पट्टा कसि घोड़न के तिनपर काठी दीन धराय ३४
नवल बछेड़ा घोड़शारे में ते सब बेगि भये तय्यार॥
यक यक भाला दुइ दुइ बलबी कम्मर कसी तीन तलवार ३५
अगल बगल में दुइ पिस्तौलें दाहिने हाथे लीन कटार॥