पृष्ठ:आल्हखण्ड.pdf/९८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

४५ माडोका युद्ध । ६३ वार हमारी ते बचिजाये घरमाँ छठी धराये जाय २४ यह कहि मारा तलवारी को शिरपर परी सूर्य के जाय ॥ फटिक खुपरी दुइ . टूका भे सूरज गिरा भरहराखाय २५ सूरज गिरते परलय बैग लशकर तितिरवितिरबैजाय ॥ भागि सिपाही गढ़ माड़ो को जम्दै शरण पहूँचे आय २६ सुनी सिपाहिन की बातें जब राजा जम्बै उठा रिसाय॥ हुक्म लगायो फिरि करियाको बबुरीबनै पहूँचो जाय २७ करिया वोल्यो त्यहि समया में हमरे सुनो शूर सरदार ॥ तुरत नगड़ची को बुलवावो सबियाँ फौज होय तय्यार २८ वजो नगाड़ा तब माड़ो में भादों मेघ सरिस हहराय ॥ हथी महावत हाथी लैकै तुरत भूमि दीन बैठाय २६ चुम्बक पत्थर के हौदा धरि जिनमाँ सेल बरौंचा खाय ।। धरी अबारी तिन हाथिन पर हौदन कलशदीन धरवाय ३० घंटा बांधे गलहाथिन के भारी देत चलत झनकार ।। यक यक हाथी के हौदापर दुइ दुइ बीर भये असवार ३१ तुरत दरोगा घोड़न वाला ताजी तुरकी कीन तयार ।। नकुला सब्जा पँचकल्यानी सुर्खा सुरंगा रङ्ग अपार ३२ गंगा यमुनी डरी रका मुहँमाँ दीन लगाम लगाय॥ डरी हयकल तिन घोड़नके रेशम तंग दीन कसवाय ३३ पुट्ठन बुट्टा रचि मेहँदी के सुम्मन नालैं दीन बँधाय॥ पूंजी पहा कसि घोड़न के तिनपर काठी दीन धराय ३४ नवल बछेड़ा घोड़शारे में ते सब बेगि भये तय्यार ।। यक यक भाला दुइ दुइ बलबी कम्मर कसी तीन तलवार ३५ अगल बगल में दुइ पिस्तौलें दाहिने हाथे लीन कटार ॥