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पृष्ठ:आवारागर्द.djvu/११४

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वह कहे तो?

अनारकली में उस की एक आलीशान कपड़े की दूकान थी। वह एक उच्च वंश का खत्री था। उसकी आयु २२ वर्ष के लगभग होगी। गोर रग, छरहरा बदन, काली, चमकीली आँखे, ऊँची नाक और मोती-से दाँत थे। वह एक लखपती व्यापारी का बेटा था। एकलौता कहना चाहिये। घर से अकेला था। सबका प्यारा, आँखों का तारा। उसकी की शिक्षा बहुत मामूली थी। पुराने विचार के धनी लोग यह समझते हैं कि लड़कों को नौकरी-पेशे के लिये पढ़ाया जाता हैं। पिता ने उसे इतनी ही शिक्षा देना काफी समझा, जिससे वह दूकान के काम-काज और हिसाब किताब में उसकी मदद कर सके। फिर भी वह बुद्धिमान् और प्रतिभा-सपन्न था, उसकी प्रकृति गंभीर थी, और वह निरतर कुछ सोचा करता था। फिर भी उसने दूकान के काम को अनायास ही सँभाल लिया। वह चतुराई और तत्परता से सब काम झटपट कर डालता था। उसके विनयी स्वभाव और सद्वयवहार से ग्राहक और नौकर, सभी सतुष्ट थे। वह सबके विश्वास, प्रेम तथा आदर का पात्र था। उसके पिता को उस पर गर्व था। उसने अपने