पृष्ठ:आवारागर्द.djvu/२८

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1 तिकड़म २७ पहिना दिया गया । घोड़ी पर चढ़ाया गया, बाजे बजने लगे । सब नेग टेहले भुगतने लगे-मुझे जैसे सब भूल ही गये।" "फिर तुमने क्या किया ? क्या भाग आए ?" "भाग कैसे सकता था ? सुसर नम्बर १ ने एक न सुनी; कहने लगे-तुम हमारे मान हो, जा कैसे सकते हो" "भई वाह, तो तुम सालिगराम के व्याह मे दूल्हे से बराती बन गये। भई रहा खूब ।" रामनाथ बिगड़ गये। कहने लगे-"तुम्हें भी यही करना पड़ता।" एक बार फिर दोस्तों में कह-कहा मचा । और मि० रामनाथ ठण्डी सॉस भरते, आह-ऊँह करते उठ कर रफू-चक्कर हुये ।