पृष्ठ:आवारागर्द.djvu/७८

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तस्वीर 9 कह दिया- 'जाइए-जाइए, लड़कों को फिलॉसफी पढ़ाइये और बीबी के हाथ पर हर महीने पॉच-सौ रुपये गिन दिया कीजिये, उन लोगों की नजर में और जॅच जायेंगे। मगर आप फोटो खिचवाने की हिमाकत कीजिए। इससे वला दूषित हो जायगी।' और सुनिए, यह बात भी उन्होंने कही चार दोस्तो मे, जिससे मिस्टर भरूचा का खूब ही मजाक उड़ा, सो इस बार उन पर वार करके उन्होंने कसर पूरी कर ली। डॉक्टर गोयल भी मिस्टर वेदवार से खार खाये बैठे थे, बोल उठे-'अव आप कहिये क्या कहते हैं ? मै समझता हूँ प्रोफेसर साहब की बात मे एक गहरी सचाई है।' मिस्टर वेदवार ने सिगार में एक गहरा कश लगाया। धुंए का बादल ऊँचा मुंह कर के छोड़ा। फिर कहा-'मुश्किल क्या है, कैमरे से भी उसी प्रकार विचारों की तस्वीर खींची जा सकती है, जिस प्रकार कोई चित्रकार कुँची से खींचता है । वास्तव मे कैमरा और फूंची दोनों ही तो एक साधन मात्र हैं, तस्वीर तो कलाकार का दिमाग ही खींचता है।' सर फाजल-भाई जरा चैतन्य हो कर बोले-'तो आपका यह मतलब है कि आप नयालात की तस्वीर खीच सकते हैं ? 'जरूर, यदि मुनासिब दाम मिले। मिस्टर वेदवार ने इस तरह मुस्कुरा कर यह जवाब दिया कि सर फाज़लभ-ई एकदम उत्तेजित होकर बोले-'यदि आप मेरे एक शेर का फोटो खींच सके तो मै आप को मुंह मॉगा दाम दूंगा।' मिस्टर वेदवार ने हाथ का सिगार फेक दिया,जेब से पॉकेट-बुक निकाल कर कहा--'बहुत अच्छा, आप यही बात इस नोट बुक मे लिख दे और वह शेर भी।'