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जापानी दासी
आहट पाकर वह उठ बैठी। क्षण-भर ही मे उसने परिस्थिति
को समझ लिया। वह उछल कर खड़ी हो गई। उसके खडे
होने के वेग और आकस्मिक धक्के को मेरे मेहमान न सहन
कर सके , वह औधे मुंह गिर गए । बिजली ने लपककर बत्ती
जला दी।
बिजली के प्रकाश में वह छाती पर दोनों हाथ धरकर, दीवार
से सटकर खड़ी होगई, और क्रोध-भरे नेत्रों से घूर घूरकर उन्हें
देखने लगी। उसके होठ फड़के, उसने घृणा से होठ हिलाए ।
और उन्हें बाहर निकल जाने का हुक्म दिया । मेहमान महशय
वासना के मद्य मे गड़ गये थे। वह निर्लज्ज हंसी हँसते हुए,
हाथ फैला कर आगे बढ़े। उन्होंने जेब से नोटा का बंडल निकाल-
कर बिजली के आगे डाल दिया।
बिजली ने उसे पैरों तले कुचल डाला, और दॉत पीसकर
कहा-बाहर जाओ, कुत्ता।" वह टूटी-फूटी हिदी बोल लेती
थी। मेहमान महाशय ने धृष्टता पर कमर कसी थी। वह बल-
पूर्वक उसे आलिगन करने आगे बढ़े।
बिजली वहाँ से उछली। उसने पास पड़ी एक कुर्सी उनके
सिर में दे मारी। उसने खिड़की खोली, बाहर झांका, और
कूद गई।
प्रातःकाल मेरे सेक्रेटरी ने अंधेरे ही मुझे जगाया, और
घर पर कुछ दुर्घटना हो गई है--पुलिस घर पर आई है, इसकी
सूचना दी। मैने आकर देखा । पुलिस के कमिश्नर बिजली का
अतिम बयान ले रहे हैं। उसकी पसली और रीढ़ की हड्डी
चकनाचूर हो गई है। वह बड़े कष्ट से सॉस ले रही है। वह
पृष्ठ:आवारागर्द.djvu/९८
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