आहट पाकर वह उठ बैठी। क्षण-भर ही में उसने परिस्थिति को समझ लिया। वह उछल कर खड़ी हो गई। उसके खड़े होने के वेग और आकस्मिक धक्के को मेरे मेहमान न सहन कर सके, वह औधे मुँह गिर गए। बिजली ने लपककर बत्ती जला दी।
बिजली के प्रकाश में वह छातीं पर दोनों हाथ धरकर, दीवार से सटकर खड़ी हो गई, और क्रोध-भरे नेत्रों से घूर घूरकर उन्हें देखने लगी। उसके होठ फड़के, उसने घृणा से होठ हिलाए। और उन्हें बाहर निकल जाने का हुक्म दिया। मेहमान महशय वासना के मद्य में गड़ गये थे। वह निर्लज्ज हँसी हँसते हुए, हाथ फैला कर आगे बढ़े। उन्होंने जेब से नोटा का बंडल निकालकर बिजली के आगे डाल दिया।
बिजली ने उसे पैरों तले कुचल डाला, और दॉत पीसकर कहा—"बाहर जाओ, कुत्ता।" वह टूटी-फूटी हिंदी बोल लेती थी। मेहमान महाशय ने धृष्टता पर कमर कसी थी। वह बलपूर्वक उसे आलिंगन करने आगे बढ़े।
बिजली वहाँ से उछली! उसने पास पड़ी एक कुर्सी उनके सिर में दे मारी। उसने खिड़की खोली, बाहर झांका, और कूद गई।
(५)
प्रातः काल मेरे सेक्रेटरी ने अँधेरे ही मुझे जगाया, और घर पर कुछ दुर्घटना हो गई हैं—पुलिस घर पर आई हैं, इसकी सूचना दी। मैंने आकर देखा। पुलिस के कमिश्नर बिजली का प्रतिम बयान ले रहे हैं। उसकी पसली और रीढ़ की हड्डी चकनाचूर हो गई हैं। वह बड़े कष्ट से साँस ले रही हैं। वह