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आवारागर्द
रुक-रुककर बड़े धैर्य से सब घटना बयान कर रही थी। मुझे देखकर वह मुस्कराई। उसने मुझे प्रणाम किया, और अलविदा कहा। इसके बाद उसके प्राण-पखेरू उड़ गए।
पुलिस ने मेरे भी बयान लिए। मुझे सत्य-सत्य सब कुछ कह देना पड़ा। मेहमान साहब को बचाने की काफ़ी चेष्टा की गई, पर वह बच न सके। एक स्त्री की इज्जत के लूटने की चेष्टा करने तथा उसे प्राणांतक खतरे में डालने के अपराध में जापान की स्वाधीन सरकार ने उन्हें ७ वर्ष का कठिन कारागार दिया।
बिजली का एक चित्र मेरे पास है, उसे लेकर मैं देश लौट आया हूँ। वह उसी भांति मेरे साथ है, और तन-मन से मेरी सेवा कर रही है।