पृष्ठ:उपयोगितावाद.djvu/१६

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बारह वर्ष की आयु में मिल ने ग्रीक और लैटिन भाषा का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया था। तेरह वर्ष तीन मास की आयु में मिल ने अपने पिता के मित्र सर सैमुअल बैन्थम (Sir Samual Banthem) को एक पत्र लिखा था जिसमें उसने गत चार वर्ष के अपने अध्ययन का ब्यौरा दिया था। इस पत्र को देखने से पता चलता है कि इन चार वर्षों में उसने यूनानी भाषा में थ्यूसीडीडीज़ (Thusidides), अनाक्रियन (Anacreon) तथा थियोक्रीटस के ग्रन्थ पढ़ डाले थे। होमर की औडेसी (Odyessey) भी देख डाली थी। एसकीज़ (Aeschis), डिमासेथिनीज़ (Demosthenes), एसकाईलस (Aeschylus), सोफ़ोक्लीज़ (Sophocles), यूप्रीडीज़ (Euprides) तथा एरिस्टोफेन्स (Aristophanes) के बहुत से ग्रन्थों का अध्ययन भी किया था। अरस्तू की रिटारिक (Rhetoric) तथा आरगैनन (Organon) का कुछ भाग भी देखा था। प्लेटो के डायलाग (Plato's Dialogues) तथा पिन्डार (Pindar), पौलीबियस (Polybius) और ज़ैनोफन (Xenophon) के कुछ ग्रन्थ भी पढ़े थे। लैटिन में सिसैरों की बहुतसी वक्तृतायें, ओविड (Ovid), होरैस (Horace), वरजिल (Virgil) के ग्रन्थ तथा 'लिवी' (Livy) की पांच पुस्तकों का अध्ययन किया था। टैसीटस (Tacitus), जुवैनल (Juvenal) तथा क्विनटिलियन की तो करीब २ सब ही पुस्तकें पढ़ डाली थीं। गणित शास्त्र में बीज-गणित, रेखागणित तथा त्रिकोणमिति का आरम्भ कर दिया था। अन्तिम वर्ष में यूनानी, लैटिन तथा अगरेज़ी भाषा के लेखकों के तर्क शास्त्र विषयक ग्रन्थों का अध्ययन किया था। अर्थ शास्त्र तथा रसायन शास्त्र (Chemistry) भी देखा था। द्वितीय