में अवश्य नहीं बंधे, किन्तु शिव जी की मूर्ति के सामने
भगवान शंकर को साक्षी बनाकर क्या आपने मुझे नहीं
अपनाया था? यह बात गलत तो नहीं है ? में जानती हू
कि आप यदि मुझसे बिल्कुल न योलना चाहें किसी तरह
का भी सम्बन्ध न रखना चाहे तव भी में आप का कुछ नहीं
कर सकती। यदि किसी से कुछ कहने भी जाऊं तो सिवा
अपमान और तिरस्कार के मुझे क्या मिलेगा ' आपको तो
कोई कुछ भी न कहेगा आप फिर भी समाज में सिर ऊंचा
करके बैठ सकेंगे। किन्तु मेरे लिये कौन सा स्थान रहेगा?
अमी एफ रूखा सूसा टुकडा खाकर जहाँ रात को सो रहती
है, फिर यहाँ से भी ठोकर मारकर निकाल दी जाऊंगी, और
उसके बाद गली गली की भिखारिन बन जाने के अतिरिक्त
मेरे पास दूसरा फ्या साधन बच रहेगा? सम्भव है श्राप
भाज मुझे दुराचारिणी या पापिनी समझते हो, और इसीलिए
बहुत साच विचार के याद आपने मुझसे सम्बन्ध-त्याग में
ही कुशलता समझी हो, और पर लिखना यन्द कर दिया हो
खैर, आप मुझे कुछ भी समझे, किन्तु ऊपर से
परमात्मा देखता है फि में क्या है? दुराचारिणी है या
नहीं, पापिनी ६ या क्या ? इसका साक्षी तो ईश्वर
हो है, में अपने मुह से अपनी सफाई क्या दूं? अप फेवल
यही प्रार्थना है कि मुझे क्षमा करना, मेरी त्रुटियों पर
भ्यान न देना, और कृपाकर मेरे पत्र का उत्तर मी न देना।
क्योंकि अब भापका पत्र पढने के लिये, शायद में संसार
मैं भी नरहूं।
श्रभागिनी-
प्रमीला
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