पृष्ठ:ऊर्म्मिला.pdf/१३१

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द्वितीय सर्ग ? (११) सताती है इनको, मा, देवि, आप से कहने मे कुछ लाज, इसी से मुझे बीच में डाल कर रहे थे ये अपना काज ऊम्मिला के सुन कर ये बैन सुमित्रा माता निहाल, और लक्ष्मण से कहने लगी, "बात इतनी ही थी, क्यो लाल वृथा फिर तुमने कौशल और नीति से लेना चाहा काम, अम्मिला का ले कर यो नाम कर रहे क्यो उस को बदनाम ?" (१२) "क्योकि तुम मझसे भी कुछ अधिक चाहती हो इन को, हे जननि, इन्ही के सुख-पौधो से शस्य- श्यामला है तव मानस-अवनि , इन्ही के नव विराग का राग- इसी से मैने छेडा आन, किन्तु तुम दोनो ने मिल मुझे छकाया खूब, किया हैरान , बात यह है कि युद्ध औ' सैन्य आदि की देख-रेख का बहुत कर चुका-चाहता हूँ अब कुछ दिन तक करना विश्राम ।" काम ११७