पृष्ठ:ऊर्म्मिला.pdf/१९

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ध्यान खचित शोक-रेखा है जिसके द्युति विहीन आभरणो मे, अलकावली-ग्रथित, श्रीहत है कुडल जिसके कर्णो मे, अकथित करुण कथा बहती है जिसके कल-कल झरनो मे, नत हो जा, हे नास्तिक मस्तक, उसके युग श्री चरणो मे ।