पृष्ठ:ऊर्म्मिला.pdf/२३०

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ऑम्मला निमिष-मुहूर्त्त-विपल-घटिका-दिन,- मास-वर्ष-निर्माण हुआ, अथवा सकल विश्व मडल की ऋमिक प्रगति का ज्ञान हुआ, भूत-भविष्य विभाजित करता वर्तमान प्राया छिन मे, एक काल के तीन रूप हो- गए, ध्यान-मय उस दिन में, ऋतु-सज्जित यह वर्ष हो गया, दिवस हुआ यह घटिका-मय, किंवा मानवता के हिय मे कुछ-कुछ हुआ ज्ञान-सचय । ६४ उस प्रभात मे मानव-हिय मे ज्ञान-प्रणोदन स्वय, ज्यो सूने मन-दिड मडल मे करुणा-रोदन हुआ क्यो? क्या? कैसे ? के प्रश्नो से, हृदय विकम्पित, व्यथित हुआ, अन्वेषण-प्रेरणा मथानी से अन्तरतर-मथित हुआ, कहाँ ? मै कहाँ ? अरे, तू कहाँ ? मै हूँ कौन ? और तू क्या ? यो अकुला कर मानव बोला, ठोकर खा, जब वह चूका । स्वय,