पृष्ठ:ऊर्म्मिला.pdf/३१८

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अम्मिला रघुवर धीर उनके गहन २६६ सुन कर वचन ऊम्मिला के श्री- उमड आए, नयन-अम्बर मे कुछ-कुछ मेघ घुमड आए, सीता, राम, ऊम्मिला, लक्ष्मण गहरे पैठ गए जल मे, सम्हले राम, अन्यथा होता निश्चय प्राप्लावन उसी समय, सब के नयनो मे पडी सुमित्रा की झॉई अथवा उस क्षण वहाँ सुमित्रा माता तौका-सी आई । पल मे, २७० सब ने चरणो मे वन्दन की श्रद्धाजलियों अर्पण की वृद्धा श्रद्धा को नव विश्वासो ने भेट समर्पण की, भुके देर तक राम सुमित्रा माता के श्री चरणो मे, मानो नवधा भक्ति लग गई पद सेवा उपकरणो मे, उठा राम को हृदय लगाया स्नेह विहवला माता ने,- मानो दिव्य चरित अपनाया हो पौराणिक गाथा ने। 3 ३०४