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तृतीय सर्ग
भर दो, मॉ, भर दो अन्तर तर,
तव वेदना, व्यथा, करुणा से, आप्लावित कर दो अभ्यन्तर,
भर दो, मों, भर दो अन्तर तर ।
इति श्री तृतीय सर्ग
श्री लक्ष्मणार्पणमस्तु ।
तृतीय सर्ग
भर दो, मॉ, भर दो अन्तर तर,
तव वेदना, व्यथा, करुणा से, आप्लावित कर दो अभ्यन्तर,
भर दो, मों, भर दो अन्तर तर ।
इति श्री तृतीय सर्ग
श्री लक्ष्मणार्पणमस्तु ।