पृष्ठ:ऊर्म्मिला.pdf/४०४

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अम्मिला अन्दन निस्पन्दन की विस्तृत-सी करुण कहानी, विछुडन के समय-पटल पे लिख रही ऊम्मिला: रानी, आँसू स्याही बन मसि-भाजन नेत्र बने ये, बन गए पर्व गाथा सकल्प-विकल्प घने कम्पित लेखनी बनी अम्मिला-हृदय की धडकन, गम्भीर विछोह व्यथा से प्राकुल है कोमल तन-मन । १४ है वही ऊम्भिला-पीडा उसकी अपनी ही बीती, हो गई ढुलक कर उसमे चर-अचर-व्यथा रीती, उसकी उस विरह-व्यथा मे बिम्बित है जग की करुणा, के हृदय-स्पन्दन मे विश्व-वेदना अरुणा, जग का यो अलग-अलग सा, सक्रम ही बिछुडन भय है, लक्ष्मण का विपिन-गमन ही ऊम्मिला वियोग-निलय है ।