पृष्ठ:ऊर्म्मिला.pdf/४२३

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पचम मर्ग मॉय-सॉय हिय करि रह्यो, मॉय मॉय जिय होत, सॉय-सॉय निगि करति है बहत नयन-जल-मोत । ६२ कारी निशि, कारी अवनि, कारी दिशि चुपचाप, कारी नयन कनीनिका, कारे केस-कलाप 1 ससार, कारे द्रुम, कारी लता, कारो सब कारो-कारो कै रह्यो, यि-बिछोह-सचार ६४ पिय, इन कारे छिनन मे, तिय हिय अति अकुलाय, मौन रुदन मन करि रह्यो तुमहि बुलाय-बुलाय । ६५ कारी निशि ते भर गई, हिय मे झाई श्याम, भई जाति ही बावरी, टूटत सयम-दाम । झिल-मिल झिल-मिल करतु है, श्याम नैश आकास, तपकि-तपकि रहि जात ज्यो, हिय-वेदना-विकास । ४०६