पृष्ठ:ऊर्म्मिला.pdf/४४

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ऊम्मिला ३० "जीजी, मॉ उन सब फूलो के हार गूथ डालेगी, तात चरण को माला देगी, वे निज व्रत पालेगी, एक बात मुझको बतला दो, मेरी जीजी रानी- तात चरण आते है तब क्यो हँसतीमा कल्याणी? 7 ? मुसका कर माँ अपनी माला क्यो उनको देती है फिर उन मे से एक माग कर आप पहन लेती है एक बार मेने मॉ मे यह बात पूछ जब ली थी, तब बस उनने मेरी चुम्मी जल्दी से ले ली थी। ३२ किन्तु चूमकर, सुनो, रच भी मुझे न बात बताई, मुझसे कहा, अनोखी है, री, तेरी यहा पगलाई । इस मे क्या पागलपन है, री जीजी, तुम्ही बता दो ? मॉ की इन करतूतो का तुम मुझ को हाल जता दो ।" सीता यह सुन उठी खिलखिला मानो बिखरे मोती, खिसक पाई मस्तक से छोटी सी वह शुभ्रा धोती, "सुन प्यारी सम्मिले, मुझे ये बाते ज्ञात नहीं है, माता ने मुझको भी वो ये बाते नहीं कही ह ।" यो आपस में बातें करती चल दी दोनो बहने, रूप रण मे है समानु, ये विदेह-गृह के गहने, उपवन में दोनो बहनो की जब आ बैठी जोडी, नब फलों में लगी .परस्पर होने होडा-होडी ।