पृष्ठ:ऊषा-अनिरुद्ध.djvu/२७

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कैलासी बाबा की आड़ में वैष्णवों पर गजब ढायगा । उस सब का परिणाम क्या होगा ? शैव और वैष्णव सम्प्रदाय में झगड़े की एक जबर दस्त आंधो पायेगी और इस देशकी ऐक्य के सूत्र में बंधी हुई जाति के टुकड़े २ करायेगी। हाय, समय की गति न जाने तू क्या करके दिखायगी ।

कट पर और कप्ट यह है कि श्री पार्वती जी ने भी असुर को एक पुत्री देने की कृपा दिखलाई है। इस प्रकार उन्होंने भी उसकी ताकत बढ़ाई है।

खैर जी जैसा कुछ होगा देखा जायगा । नारायण, नारायण,

ठहर कर
 

चल नारद, वाणासुर की सभा में चलकर देख तो सही, पुत्री के जन्मोत्सव की कैसी धूमधाम है। अपने नारायण को तो अपने धानन्द से काम है। नारायण, नारायण ।(चले जाना)

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॥ तीसरा दृश्य ॥

(स्थान छावनी)

[चारों ओर से सशस्त्र सिपाहियों के बीच में विष्णुदास नामक एक बूढे वैष्णव का खरे हुए दिखाई देना और वाणाहर का उसपर गरमाना।]

वाणासुर--बोल, बोल, मेरे वाणों के लक्ष, मेरी श्वन के निशाने, मेरे क्रोध की शान्ति, मेरी क्षुधा के भोजन, तू विष्णु की भक्ति नहीं छोड़ेगा?