पृष्ठ:कंकाल.pdf/१३२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

र ६ है। SEE in के मात्रियों ने झिा का अवलम्ब तिमा । प्रभात में बढ़ थोच को अर्यि पुलौ, अब इसने देखा, प्रोड़ा 5ों पर भी बरा पहले को पले स्वतन्न वायष्य अपो चाहता है । तात को स्मृति नै धेचन्द्र में एप पर पूरि-प्शन मा पार शो! के दी। नौद न फुनने का बहाना बर इन्हें एक बार फिर से अन्दर के एश पिना चीं। किसोरी मर्मात हुई; पर जान नियति ने उसे सब जोर से गिरम्य गर श्रीचन्द्र के सामने हुने वैः लिमै बाध्य किया था। यह घोग गौर मतभेदना से गद्दी जा रही थी। | श्रीद राहरू संवित करके ३३ बैश। हरते-डर किरी ने इराके पैर पकड लिये । एकात पा । वह जी ग्रोवर रोई; पर क्रोध ही , सयमा मै अलः न आई। उसने कहा--गोरी । रोने की तो कोई मान्यता नही । चन्द्र को बरा होने के ६ हुई सात ऑटो को श्रीचन्द्र में मुंह पर जाते हुए गिरी ने कहा- आवश्यक तो न!; पर वानते हो स्त्रियाँ किसी दुर्बल है-शमला है। दही हो मेरे फैशा अपराध करनेवाचे पान के पैरों पर पर न होना परसा । वह अपराध यदि तुम्ही से खीचड़ गया हो, तो मुळे उत्तर देने की व्यवस्था ३ धोनी पड़ेगी। तो इन लोग क्या इतो र है कि मिशन असम्भव है। असमर वो नहीं है, नहो तो में आता ३-४ । अब स्त्री-मुक्ता ईष्र्या किशोरी के दम में है। उनै कहा--आगे हैं। किसी को गुमाने-किरागे-मुप-हर मैने ! किशोरी के इरा कमर में व्यय से अधिक उलाहना था । न जाने क्यो प्रह की इत ८ से होतोय बोला--लना तो तुम भी स्वीकार करो कि यह कोई अपराध नहीं है। , जैसे ईशित दर मिल गई हो। हु सर किंगो ने देखा, रामदा हो कता है, अधिः महा-सुनी कर इसे हुए र न बना देगा गाहिए। उसदे दीन हो गधा-तो अपराध शमी नहीं हो सपना ? श्री इस दात-योत का अवसर भी नहीं आता । हग सरोगों का पय जब आग-असा ने कहा-किशोरी ! पण हा । अपराध शमशता, तो वाज धारित हो चुका है, व इसमें कोई बाधक न हो, यही नीति अच्छी है। यात्रा करने तो हम सोग मापे धी ६; पर एक काम पौ ६। काम : १२॥