पृष्ठ:कंकाल.pdf/१७२

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चु, भय भी ; तौटकार नहीं देख रल्ला है, तब वह न भी उठ बड़ी हुई । मंगल ने कहा---गाला ! तुम इस समय बाबा के साथ जाओ, मैं आवर उन्हें समझा दूंगा । इसके लिये झगड़ना कोई अच्छी बात नहो । गाला निरुपम नीचे उतरी और बदन के पास पहुँचकर ६ ई हाथ पीछेही-पीछे चलने लग; परन्तु उस कट्टर बुड्ढे ने पूमकर देखा भी नहीं । | नये है मग' में गाला का एक आकर्मण नाग जैश था । वह कभी-कभी अपनी बांगुरी होकर मारी के तट पर चला जाता और बहुत धीरे-धीरे उसे कतर । उसके मन में भय उत्पन्न हो गया था, अर्थ वह नहीं जाता था कि बलू मिस की ओर अधिक आषत हो, और सबकी आँखों से अपने को बचाना प्राता। इन सब कारणो से उसने एक कुत्ते को प्यार करने वा अभ्यास किया । वडे दुलार से उसका नाम रक्खा या भूलू । यह था भी बरा । निःसंदिग्ध छ। है, अपने कानों को गिराकर, अगले दोनो पैर छुड़े किये हुए, वह नये के पास बैठा है । विपास उसकी मुद्रा से प्रकट हो रहा है । वह बडे म्यान' से बंसी की पुकार मिझना चाहता है। सहा नये में बसी बन्द कर उससे पूछा भालु ! तुम्हें महू गीत अच्छा वगा ? भालू ने बाहा--भु ! ओहो, असे ते म बड़े ममदार हो गये हो ? –कहनार नये में एवः चपत थौरे में लगा दी । यह प्रसन्नता के शिर झुकावर पुंछ हिलाने लगा। सहसा इलकर वह सामने की घोर भागः । नमें उसे पुकारप्ता ही रहा; पर वह पला गया । म चुपचाप बैठा चुरा पट्टाडी रामटं को पता रहा ! कुछ ही दाम में मन्नू आगे दौडता फिर पीछे लौटता दिखाई पड़ा, और उस पग-पी गाना इसके इलार में व्यस्त दिखाई पड़ीं । गाना की पुग्दावनी साडी अब बहू पकड़कर अगने दोन पंजे से पृथ्वी पर चिपक जाता और गीला उरी चिकती, तो वह मिलया लहजे के समान सूनवर दुर जा खड़ा हो और दुग हिलाने लगता ! ने उसकी ब्रीडा को देरकर मुस्य्रािता हुआ चुप बैठा रहाः1 गात्रा ने बनावटी क्रोध से कहा--मना करो अपने दुलारे थ, नहीं वो | वह भी दुलार ही न करता है। बेचा जो युः पाता है, वहीं तो देता है, फिर इसमें उलाहना कैसा गाला ! ज पाये उसे बाँट ६ ।–गाला ने गम्भीर होकर वहा । | यहीं तो उदारता है ! कहो, आज तो तुमने साड़ी पहन ही नी, बद्त मली नैग हो ।