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पास पहुंचा देती हूँ, वह तो मेरी बहन है, मैं तुझे भली-भाँति जानती हूँ। तू घबरा मत।
हिन्दू स्कूल की एक स्वयं-सेवक पास आ गया। उसने पूछा क्या तुम भूल गई हों?
तारा रो रही थी। अधेड़ स्त्री ने कहा मैं जानती हूँ, यही इसकी माँ है,यह भी खोजती थी। मैं लिवा जाती हूँ।
स्वयं-सेवक मंगलदेव चुप रहा। युवक छात्र एक युवती बालिका के लिए हठ न कर सका। वह दूसरी ओर चला गया,और तारा उसी स्त्री के साथ चली।
१२:प्रसाद वाङ्मय