पृष्ठ:कंकाल.pdf/१९३

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यही सो मैं समझ न रात । तुम न समझ सके ! रुजी एक पुरुष को फाँसी से बनाना चाहती है और इस कारण तुम्हारी रामज्ञ गें न आयः-इतना स्पष्ट कारण ! तुन वया समसढी हो ? स्त्री जिससे प्रेम करती है, उसी पर सबसे मार देने को प्रस्तुत हो जाती है, यदि वह भी उगका प्रेमी हो तो ! स्त्री वय के हिसाय में मदद शिशु, वर्ग में अयस्क और अपनी सहायता में निरीह है। विधाता का ऐसा ही विधान है। | मंगल ने देखा कि अपने फधन में याला एक सत्य का अनुभव कर रही है। उसने कहा--तुग मी मनोवृत्ति की अच्नै तरह समझ सकती हो; परन्तु सम्भव हैं यहां भुन कर ही हो । मब स्त्रियों एक हो घानु मी नहीं । देखो मैं शट तक इराके सम्बन्ध में जानता है, तुम्हें मुगाता है-यह एक निश्ष्टल प्रेम पर विश्वास एग्जती थीं और प्रानःनिक नियम से विषमः था कि एक युवती किसी भी युवक पर विश्वास परै; परन्तु बहु अभाग नुबक उस विनास पा पार नहीं था। उमको अत्यन्त रिस्पन भोर कर घड़ियों से युक्त विचलित हो उठा । गहना न होगा कि उस गुपक ने उसने विश्वास को बुरी तरह गया । एकाकिनी जग नापत्ति को कटुता झेलने के लिए छोड़ दी गई। बेचारी को एक महारा भी मिक्षा; परन्तु यह सुसरा गुवक भी उसने साथ यहीं करने के लिए प्रस्तुत था, जो गते युवक ने किया। वह फिर अगना असम छोडने वैः निए बाध्य हुई । उसने संघ यी छाया में दिन यिताना निश्चित किया । एक दिन उसने देखा कि पही दुरारी मुवक एका हुया करमै फाँसी पाने की बाद में हुई कर रहा है। उसने उसे हटा दिया, आप शव के पास बैठी रही। मुकटी गई, तो हत्या का मार अपने मिर ले लिया। यद्यपि उराने स्पष्ट स्वीकार नहीं किया परनु प्रशासन को तो एक हत्या के बने दूसरी हत्या करना ही है। न्याय को यही समीप मिली, उसी पर अभियोग चल रही है। मैं तो शमझता है कि बड़े हुताश होकर जीवन दे रही है । चसका कारण प्रेम नही है, जैसा तुम रामझ रही हो । | गाना में एक दीर्ष निःश्याय लिया। उसने कहा-नारी जाति का निर्माण विधाहा पर एस ने अवाहट है। मॅग्न ! उससे संसारभर वैः पुस्प पुन्छ लेना चाहते हैं, एम माता ही कुछ सहानुभूति रखता है, इसका नगरण है उसका भी को होना । हाँ, तो उराने न्यायालय में अपना क्या राग दिया ? उसने बडा-पुरुय स्त्रियों पर सदैव अत्याचार फते हैं, कहीं नही सुना गगा कि अगुF की ने अमुक पृरुग के प्रति ऐसा ही अन्याय किया; परन्तु गुम्यों का पद माघारण बालमान है---स्त्रियों पर काग परनर ! जो अनारी है, १७४ : प्राई यीमय